________________ (एए) रण / बिहुँ संघसयलऽरियहरण, बिहुं वरकमलवयणनयण / बिहुँ श्रीजिनरायन्नुवनरयण // 31 // श्मजगते जोखिमतपीए / श्रीअजियशांतिथु नपीए / सरण बिहुँ जिणपायए / सिरिमेरुनंदनउवजायए // 35 // इति श्रीअजितशांति जिनस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्रीसिद्धगिरि स्तवनं लिख्यते // // श्रीविमलाचल सिरतिलो / आदीसरअरिहंत / जुगला धरमनिवारणो / जयनंजणनगवंत ॥१॥श्री० // मुझमन ऊलट अतिघणो रे / सोदिनसफलगिणेस / स्वामीश्रीरिहेसरू / जब नयणे निरखेस // श्री० // // जंगमतीरथविहरता / साधुतणे परिवार / श्रादिजिएंदसमोसस्या / पूरब निवाणुंवार // श्री० // 3 // अचरा विजयानंदनें / जगबंधव जगतात / इणगिरिचनमासे रह्या / थिवरकहे ए वात // श्री // 4 // पामें शिवसुखसासता, गणधरश्रीपुंमरीक / पुंगरगिरितिणकारणें / जगति करो निरनीक // श्री० // 5 // नमिनें विनमि सहोदरू / विद्याधरबलवंत / से@जयशिखरसमोसस्या / जेगिरवागुणवंत // 6 // श्री० // थावच्चामुनिवरशुक, सहससहसपरिवार / पंथगवयणेजागीयो / सो सेवगणगार // श्री० // 7 // पांमवपांचमहाबली। सुणी जादवनिरवाण / ते सीधा सिमा चले / सुरनरकरे वखाण // श्री० // // श्मसीधा इणडूंगरे / मुनिवरकोमाकोमि / पाजचढंतां सांजरे / ते प्रपमुंकरजोमि // श्री० // ए॥ जेवाघणी प्रतिबूझवी / ते दरवाजे