________________ (65) मंगलेवो / परे प्रनु श्रागलितेकरेवो // 12 // (कलश) श्म करियपूजा यायोगे संघपूजाआदरो। साहमीवचलकरो नविका जवसमुज लीलातरो / संपदासोहगतेहमानव रिधि वृद्धि बहुखहे / श्रीश्रमरमाणिकसीससुपरे साधुकीरति श्म कहे॥१३॥ // इति श्रीचैत्रीपूनिमवृध्वस्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ नंदीसरद्वीपस्तवनं लिख्यते // // नंदीसरबावन्नजिनालय / शाश्वताचौमुखसोहेरे / रुपनानन चंजाननवारिषेण / वरधमानमनमोहेरे // नंदी० // 1 // आठमोघीपनंदीसरअदनुत / वलयाकारविराजेरे / तेहनें मध्ये चिहुंदिशिशोनित / अंजनगिरिवरगजेरे // 2 // नंदी जोयणसहसचउरासीऊंचा / ऊंचपणे अनिरामारे / मूले पृथुल सहसदशजोयण / वरिसहसश्कश्यामारे // 3 // नंदी // ते उपर प्रासादप्रनुना / अतिउत्तंग उदारारे। साधुजंघा विद्याचारण, वांदे विविधप्रकारारे // 4 // नंदी० // चैत्येचैत्ये एकसोचोवीस / बिंबसंख्या सविदाखीरे / ध्यावो सेवोन. विजननक्तं / सुधागमकरि साखीरे // 5 // नंदी० // ऊंच. पणे सहु जोयणबदुत्तर / सोजोयण आयामारे / पिदुलपणे पंचासजोयणना / प्रनुप्रासाद सुगमा रे // 6 // नंदी० // धनुषपांचसे आयतप्रनुनी। विविधरतनमयकायारे / जिनकट्याएकनचवकरवा; सुरपति जगते आयारे // 7 // नंदी० // अंज: नअंजनचिटुंगिरी नवरे / चौमुखवाविशालारे / वाविवाविविच श्कश्क पर्वत / राजतरंगरसालारे // // नंदी० // चौसन्सहस जोयणउत्तंगे / दशसहस सम पिडुलारे / चिदुदिशि सोल बृ० स्त०५