________________ (173) मुखकारजो // वी० // 6 // शीतताप नयनूखतृषासहीघणी, कूरकर्मकरी उपनोनरकमकार जो, वेदनानेदन तामनतर्जनादिक सह्या, पर्माधादि कृत कष्टअसारजो // वी० // 7 // नरकश्रकी निकलीनेंतीर्यच वलि थयो, अकामनिर्जराकरतां वदुली वारजो, देवगतिमा उपजी सुखलंपटथयो, तेथी सुकृतकीनों नहींलगारजो // वी० // // कर्मसंयोगे एकेजियमेंऊपनो, श्मनवज्रमण करंता अनंतावेसजो, लजतांक्रमथी मनुष्यपणोमेंपामियों, त्यांपण नलह्योधर्मतणोंलवलेशजो // वी० // ए॥ इम नवनाटककरतांकालबहुगयो, पुन्यसंयोगेपाम्योप्रन्नु दीदारजो, स्वामीशासनलागोमुसनेमीचमो, हिवप्रनु करुणाकरीमुजकरोनिस्तारजो // वी० // 10 // तुम सरिखासाहिबनी सेवामैलही, हिवप्रन्नुमुजनेंजाणों सेवकखासजो, तुमगुणजाएं एटलीसुनिजरकीजीये कृपाचंजप्रनुपूरो मनमेनी आसजो ॥वी // 11 // गुर्जरदेशेपानसरे प्रनु नेटिया, वरषजगणीसे जगणोत्तरे शुलदीसजो, मौनग्यारस मनमोहनप्रनुजीमिल्या, आनंददायकजयकारीजगदीश जो // वी० // इति पदम् // ॥अथ पंचमिकाबृद्धस्तवनलिख्यते // . .. उहा // सिझारथकुखदिनमणि / त्रिसलादेवि सुजात // वर्षमानजिनचंदकुं / नमनकरिपरजात // 1 // गुरुदरियो नरियोगुणें / तरियोकिण विधिजाय // बलिहारि गुरुदेवनी / मोमनरह्योलोजाय // 2 // जिनवाणीपीयूषरस, पानकरो निशिदीश // पांमोनाणसुहंकरु लाखैजगनाईश ॥३॥हाल।। कपूरहुवे अतिऊजलोजी // ए देशी // ज्ञानवारोधों अविज