________________ (17) हरो / तो हत्या हमारीरेलो // अहो॥ ए॥ दयापिण तुजनेहोसी / हत्या परिवारीरेलो // अहो० // राजा ॥राजाआपे तेहने / निजअंगविदारीरेलो // अहो० // 10 // तोपण नाएयोचित्तमे / रायमुःख लीगारीरेलो // अहो // तिणवेला सुर बोलीयो / सुरवाणी सारीरेलो // अहो० // 11 // परिक्षाका रणावीयो / हुंचं आशासारीरेलो // अहो // इंवखाण्यो तोहवो / जेहवो नपगारीरेलो // अहो // 12 // जीवदया. प्रतिपालने / निजकाजसुधारीरेलो // अहो // राजापहोतोमंदिरे / निज पोषोपारिरेलो // अहो // 13 // तेरमेजवलाधी नली। दोयपदवीसारीरेलो // अहो // तीर्थकरथयासोलमा / पंचमचक्रधारीरेलो // अहो // 14 // शांतिजिनेसरवीनति, चित्तमें अवधारीरेलो // अहो // नावसागरकहे थाय जो, संघमंगलकारीरेलो० // अहो // 15 // इति श्रीसांतिस्तवनं०॥ // अथ पंचकल्याणकस्तवनम् // 130 // नमियपदकमल शुजनावसविजिनतणा, पंचकल्याण दिन. नणिसुं जिनवरतणा / कसिणकत्तितणे परकपंचमिदिएँ, नाणसंनवतणे खयकरमतणे // 1 // नेमिजिणचवनसुरजवनश्रीबारसै, पनमपहजम्मवलिदिरकतसुतेरसै / वीरसिवमांवसैपरिकहिवनजलै, बाणसिरिसुविधिअरतीजबारसिमिलै // 2 // ढाल // मिगसरवदिरेसुविधि पंचमीजनमियो, सोश्वरै संयमधरसुरपणमियो, दशमीदिनरेवीरेसंयमादस्यौ, ग्यारसिरे पनमप्पहसिवसिरि वस्यौ // सिववस्खौ मिगरससुदिदशमी दिणरयणि अर जिनजामीयो, वति मुगतिपिण तिणदिवसपोतो व्रतश्यार.