________________ (106) हिज मोदउपाय लालरे // वी० // 20 // (कलश) इम वीरजिनवरतणीआज्ञा धार चित्तमकार / सदुदेख आगमतणीरचना रची तपविधिसारए / वसु नंद सिद्धि चंज वरसे चैत्रमाससुहंकरू / मुनिकेशरीशशि गबखरतर जणीस्तवनामनहरू // 21 // इति वीस स्थानक तप वृषस्तवनं // ॥श्रीशांतिनाथजी भगवाननुं स्तवन // सेवा शांतिजिणंदकी / कीजे अतिसारीरे / अहोकीजे सा. रीरेलो। पदपंकजपूजेसदा / जेहना नरनारीरेलो // अहोग // 1 // एकवारसुरलोकमें / मेघरथराजारीरेलो // अहो // इंजे कीधीप्रसंसा / मोटोनपगारीरेलो // अहो // 2 // जाणवेला सुरवोलीयो / मिथ्यामतिधारीरेलो // अहो॥धानतणो एकीमलो / मलमूत्रमारीरेलो // अहो // 3 // तीणमांहे कहो क्यांश्रकी / एहवी इकतारीरेलो // अहो // उत्तरवैक्रीयरूपेंकरी / चाट्यो तिणवारीरेलो // अहो // 4 // कीधादोय पंखीतणा / रूपबुधिविचारी रेलो // अहो० // ध्यानधरी बेगतिहां / नरपतिनिरधारीरेलो // अहो० ॥५॥राखराख करतोपड्यो / पारेवो तिण वारीरेलो // अहो / राजारूमीरीतसुं / लीधो बुचकारीरेलो // अहो० // 6 // जयमतकररेबापमा / कोय न शके मारीरेलो // अहो // पापी. पुंठे वीयो / हुलवोहीलकारीरेलो // अहो // 7 // नदीजे नृपमाहरो। तिमखालं मारीरेलो // अहो ॥नोजना' तोजणी / मीगंसुखकारीरेलो // अहो // // मांसविना खानहि / नृपजात हमारीरेलो // अहो० // नदनहिद्योमा