________________ (15) सुणसा // 10 // एकदिशि तेरहजाणो, चिर्दू दिसिनां बावनमाणो, जिनचैत्यजुहारे सुरराणो, सुणसा० // 11 // पर्युषण पर्व आव्यांजाणी, जिनवरनीनक्तिमनाणी, करेश्रावक अतिनवटाणी, सुणसा // 1 // जिमनंदीसर सुरपतिसेवै,तिमश्राबक सुविधि लेवै, कृपाचन्प्रसूरिनिजगुणवै सुणसा॥१३॥ // ढाल बीजी // ॥ज्ञानादिकगुण संपदारे ए देशी // आस्रबपांचनिवारजोरे, पर्वपजुसणजान, कषायशत्रुदल वारजोरे, धारज्यो जिनवरध्यान सुझानी धारज्योरे, धारज्योपरवप्रधान // 14 // प्रथमअहिंसकपणोधरोरे, जीवरक्षाकरो सार, अमारीपमहवजमायनेरे, सासनसोनवधार, सुधा // 15 // मृषावाद बोलो नहीरे, अदत्तनोकरोत्याग, मैथुनविरति आदरोरे, जिनधरमेंदृढराग सुधा० // 16 // परिग्रहपरिमाणकीजियेरे, तृष्णासेतुसमान, एपांचेआस्रवतजोरे, यथाशक्तिसुखखान, सुधा० // 17 // कषायच्यारनिवारिनेरे, दमाप्रमुख दिलधार, अंतररिपुनेजीतवारे, पर्वसेवोनिरधार, सुधा० // 17 // सामायक पोसहकरोरे, दानादिकयोसार, पर्युषण पुण्येावियारे, आराधोसुखकार, सु० धा० // 15 // अजयदानअरिदमनोरे, सुणो कथानकसार, सूरिकृपाचन्छसेवतारे, पामे लवनो, पार सु० धा० // 20 // // ढाल तीजी॥ // कपुरहुवेअति ऊजलोरे ए देशी॥ परव पजुसण सेवियेरे, शुचिकर मनपरिणाम, देवगुरुवा