________________ (15) आजरे सु०॥३॥ मांझवगढपतिशांतिजिनेसर,श्रीसुपार्श्वमहाराज, जगणीसगुणयासीमेरु तेरसदिनसुसमाजरे // 4 // सुप नावनले प्रनु नेटियारे, इंदोरसंघकेसाज, जिनकृपाचंसूरिसदा प्रनु सेवाश्री शिवराजरे // 5 // सु० इति अट्ठाइनो छढालियो। वीरजिणिंददिणेदसम / प्रणमुं धरिने नेह / पर्युषण विधिवर्णदुं / सांजलो नविजन तेह ॥१॥त्रणचोमासी अतिनली। उली बे कहेवाय / पर्युषण बहीनली / अाई सुखदाय // 2 // इन्जादिक सुरवर मिली। बीपनंदीसरजाय / व्यत्नाव पूजा करै / तन मनथी लयलाय // 3 // ढाल पहिली गरबो। सुणो प्रीतमजी प्रीतकी रीत अनीततजी चितधारिये / ए देशी। सुणसाहेली ? पर्वपजुसण पुण्ये आव्या जाणिये, सखि ? वीरजिनेसरसासन जै, जयवंतो जगमा लासन छ। त्रणजगमां एज सुखासन जै, सुणसा // 4 // सखि ? पर्वपजुसणाव्याचे, जविजनने मनमा जाव्या, सहुसंघने अधिकसुहाव्याचे, सुणसा० // 5 // सखि० ? इंसादिकदेवमतीसंगे नंदीसरजावै मनरंगे, प्रजुन्नक्तिकरै अतिउमंगे सुणसा० // 6 // नंदीसरपाठमो दीपजाणो, वलयाकारमनमां बाणो, बाबनदेरासरजिनजाणो, सुणसा // 7 // अंजनगिरीच्यारे जिहांराजे, चोरासीसहस ऊंचा गजे, अंजनवरणा ते विराजे, सुणसा // // च्यार दिशि तेहने सोहे, वावच्यारेंदधिमुखहोहे, दधिवों नविनां मनमोहे, सुणसा॥ ए॥विदिशिमां रतिकर कहिये, दोय दोय संख्या लहिये, लालवरणविसरदहिये,