________________ (213) देखे, सुकुलीनीततखिणजागृतथई, जनमकृतारश्रलेखेरे मण्शां // 3 // जेठवदीतेरस प्रनुजनम्या, त्रीनुवनमेन्द्योत, मात्र महोत्सवमेरु शिखरपर, इंधकरे सुश्रोतरे मशां ॥४॥राजा घरमंगलजयकारी, पुत्रजनमनचरंग,गर्नमांहि प्रन्नुमारिनिवारी, तिण शांतिनामसुखसंगरे म शां० // 5 // कुमरपणेपचवीस सहस, वरसवस्यासुखवास, मंगलीकचक्रीपदपाली, एटलावरससहुखासरे म० शां० // 6 // जेठवदिचउदसशुलवारे संजम प्रनुजीलीनो, एकसहसराजापरिवारे, चोथो शानमननीनोरे म शां० // 7 // करमशत्रुनेजीपवाकारण विचरेपरमदयाल, पोषसुदिनवमीनंदीवृदतले, केवलपाम्योरसालरे म शां० // 7 // समवसरणमे चऊमुख जिनवर, देशनादेंमनुहार, संघ चतुरविधथापीजगतगुरु, कीनोजगतनपगाररे म शां // ए॥ मृगलंचनविराजितप्रनुजी,गरुमयसेवासारे,शासनसुरी निर्वाणी अनुपम, वांगितदेनिरधाररे म शां० // 10 // लाखवरसप्रनु आयुसपाली,समेतशिखर शिववरिया श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवी, निजगुणनिरमलकरियारे मन शां // 11 // इति / सुनोशीवपुरस्वामी अंतरजामी सारोअमारोकाज अन्सोलम जिन अचिराजीकेनंदा, विश्वसेननरराज,सुखस्वरूपधारकसुखकारक, तीनन्नुवनसिरताजरे सुनो॥१॥ जनमसमय प्रनुमारिनिवारी,शांतिनामसुखसाज,जगतजीवजीवनसुखकारण,प्रगटेगरिबनिवाजरे सु० // // महागोपमहामाहणजगपति, नीरया मकजिनराज, नवअटविसत्यवाहसुहंकर, प्रजुदरसणलह्यो