________________ (24) मिथ्याधर्म / एवो जिनशासनधर्मरे॥ सु० // श्रीचिंतामणीचर• एपसाये। संकट विकट तेजायरे॥सु॥५॥ नुजपुरसहेर गुरूनी महिरे // कस्यो चोमासनबासरे // सु० // संवतजगणीस सतो. तरेवरसे / पोसतणीसुददस मिरे // सु० // 6 // अंचलगन् पूज्यपटोधर / श्रीपुण्यसिंधुसूरिरायारे // सु०॥ संघनी साखे मिलामिठक्कम / होज्यो अधिक सवायारे ॥सु०॥७॥ जोको लणशे श्रवणेसांजलशे / तसघरमंगल मालरे // सु० // नरकसणांकुःख वीरेलाख्यां / वीरवचन रसचाख्यारे // सु॥७॥ कहे मुक्ति कमला तसवरजो / सईहजो वीरजीवाणीरे // सु // मिथ्यात्वप्रमादतजोसीलाइ जिनआणा चितलारे // सु० ॥ए॥ इति // ॥अथ सिद्धपदवर्णन सशाय // // श्रीगौतमस्वामी पूजाकरे, विनयकरि शीसनमाय प्रनुजी, अविचल थानकमें सुण्यो, कृपाकरी मोयवताय प्र० सिवपुर. नगरसोहामणुं 1 आठकर्मअलगाकरी, सास्याआतमकाज प्रा बूटा संसारनाफुःखथकी, रहवारोतिहांगम प्र शि०३ वीरकहेज लोकमां, सिमशिलातणो गम हो गोतम स्वर्गपुरिनेक परे, तेहनावारे नामहो गो शि० 3 लाखपिस्तालीस जोयणा, लावीपोली जाणहो गो० आजोजनजामीविचै, मे मांखीपांखमाणहो गो शि० 5 नज्वलहार मोतितणा, गोऽध संख प्रमाणहो गो० तेथकीउजलीअतिघणी, उलटी बत्रसंगणहो गो सि० 5 अर्जुनस्वर्ण समदीपती, घगरीमगरीजाणहो गो फटकरतनथकीनिरमली, सुआली अत्यंत