________________ (23) गु० // जाणे पापअखंक, ॥सु० // उनोने वलीश्राकरो / // गु० // नीराणेप्रचंग // सुण // 5 // तेघाले निज आंखमां / श्रवणमा नरेकथीर ॥सु०॥ महाकासबीहामता // गु० // महाबीनत्सचित्तधार // 6 // दीनदयामणांजाणवां // गु० // नरकनाजीवअतीव, // सु० // वीरजीणंद श्म देशना // गुण // सुणो ते मुक्ति सदीव // सु०॥७॥ - // दोहा // नरकतणां मुःखसांजली / कंपेतासशरीर / तव गोयम ते श्मकहे / सांजल गुणगंजीर // 1 // प्रनुचरणे शीर नामीने / पूरे गौतमस्वामि / अंतरजामीमाहरो / सरसकहो सिरनामी // 2 // ए वेदना में बहु सही / वसीयो कालअनंत / कोइकपुन्यकबोलथी। मुजमील्यालगवंत // 3 // पंच माहाव्रत जे धरे / पाले पंचाचार / पांचसुमति जे आदरे / ते लेशेजवनोपार // 4 // // ढाल 7 मी // आसणरा योगी ए देशी // इणीपरे बहुवेदना अहिआसी / हवेव्यो चरणे निवासीरे। वीरजी गुणवंता / वसतां नरकमांहें जिनराज / गयो कालअनंत माहाराजरे ॥वी // 1 // ज्ञानीविनाकुणजाणेप्राणी। कहेतांनावेपाररे / सुघसंयमरागी / दशे दृष्टांते दोहीलो जाख्यो नरजव पुन्यसंयोगेरे // वी० // 2 // शुसंयमनो खपकरशे / टाली विषयविकाररे // सु० // पंचे इंजियने वशकरसोजो। तो शिवरमणीनेवरशोरे॥ सु० ॥३॥निता विकथा दूरनिवारो / श्रीजिनधर्मचित्तधारोरे ॥सु०॥ समकितरत्नहियेमेधारो। नरकतणां मुःखवारोरे // सु० // 4 // नांजे सर्वे itili