________________ ( ए) पुरे रिसहेसरवंदे / घाणेराव महावीरचंदे / नारदपुरि सिद्धा. चलनंदे / गिरनारगिरि नेमिजिणंदे / न नामोलमे प्रद्मप्रन्नु / वरकाणे श्रीपास / पंचती यात्राकरी कां / सफलहुइ सदु आस / केसरीयाखीमेलअधीकारी। आवे ॥३॥कोरटे रिपन वीरवंदे / आहोर गोमीचा आनंदे। जालोरगढनेट्या जिनचंदे। महावीर सेवासुखकंदे / उ० इमअनेक ग्रामनगरमें / लेटे श्रीजिनराज / विषम नबंधी वाटने / जले पारसनाथसुखकाज / दरसण कस्यो मननचरंगसारी। आवै // 4 // सोलमासांति जिनराज / नेमीसर नेटे महाराज। सूरिजिन कीर्तिरतनाज / दरसण लह्यो श्रमणसंघसाज / नगणीसै इक्यासीये / आम्म फागुणशुदिदीश / जिनकृपाचंदसूरि नावसुं नले / नेय्याजग. नाईश सदा होवे संघमें जयकारी / आवे // 5 // इतिपदम् // श्रीचिंतामणिपासजी दरसणपायो आज प्रनुजी / मनविसरामी साहिवा, सेवाश्री शिवराज प्र० श्रीचिंग // 1 // आतमगुण प्रगटायवा, निमित्तकारण जिनसेव प्रण उपादान आतमसही, पु. ष्टालंबन देव प्र० श्रीचिं०॥२॥ कारण कार्य पणोलहै, करतातणे शुभयोग प्रतिममुज आतमनिस्तरे,लहिजिनवरसंयोग प्र० श्री. ॥३॥अव्याबाध अनंतनो,पाम्योनिजगुणनोग ।प्र० ज्ञानादिकजे संपदा,तेहनोनलहोवियोग प्र० श्री॥॥सादिअनंत स्थितिवरी, अरूपीअरिहंत / प्र० अगुरुलघु अक्षयपणो निरंजनसुखसंत प्र० श्री॥५॥श्मअनंतगुणनोधणी, शेयअनंतनोजाण / प्र० समयांतर उपयोगमां, वरतोगे सुणखाण प्र० श्री०॥६॥ तुं परमेश्वर बालहो, परमपुरुष परमाण / प्र० परमातम पदतेंदह्यो, प्रनुगे जीवनप्राण