________________ (ए) निदेपनयनंगधीजी, अंगनानावअनंग // सहिजसुखरंगनीतस्पिकाजी, कहिपकाजासउवांग // आ० // 3 // एकसुयखंध इण अंगनोजी, वर्ग आग्अनिराम // श्राग्नद्देसा वलीजी, संख्यातासहसपदगम ॥श्रा०॥४॥ आठमाअंगनापाउमेंजी, एहवोअरेमीगस // सरसअनुन्नवरसऊपजैजी, संपजैपुण्यनीरास // श्रा० // 5 // विषयलंपटनरजेहुवेजी, निरविषयी. सुण्यांबाय, जिममाहाविषविषधरतणोजी, नागमंत्रेसुण्याजाय॥ आ० // 6 // अमृतवचनमुखवरसतीजी, सरस्वतीकरोरेपसाय // जिमविनयचंच इण सूत्रनाजी, तुरतलहैअभिप्राय // आ० // 7 // इति श्रीअंतगमदशासूत्र स० // // अथ 9 // अणुत्तरोवाई अंग सज्झाय लिख्यते / / // ढाल // नणदलविंदलीलै // ए चाल // नवमोअंगअणुत्तरोवाई, एहनीरुची मुझनेआईहो // श्रावकसूत्रसुणो / सूत्रसूणो हितवाणी, एतो वीतरागनीवाणीहो ॥श्रा // 1 // जसुकटपावतंसिकानामै, सोहे उपांगप्रकामेहो ॥श्रा // एतो आगमनेअनुकूला, मानु मेरुसिखरनीचूलाहो // श्राप // 2 // एतो सूत्रनोनामसुणीजै, तिम 2 अंतरगतिनीजैहो / श्रा // प्रगटैनवलसनेहा, एहथीनलसेमोरीदेहाहो // श्राप // 3 // अणुत्तरसुरपदपाया, तेहनागुण इणमेंगायाहो॥श्रा॥ नगरादिकलाववखाएया, तेतौ अंगेण्याहो // श्रा० // इहाएकसुयखंधवारू, त्रणवर्गवलीमनुहारूरे // श्राप // उद्देसात्रिणेसनूरा, संख्यातसहसपदपूराहो // श्रा० // 5 // सूत्रसुणावू अमेतेहनें, साचीश्रमाहुय जेहनेहो // श्रा० // श्रोता.