________________ (1) माशनो तपकर्यो / तेह अपानकसाररे (त्रि०) // 5 // एहजत्कृष्टतपवरणव्यो / आगममे जिनराजरे / ते करवू अतिश्राकरूं / तपविना किमसरे काजरे (त्रि.)॥६॥ तीनशेसाठउपवासते / जेश्नपंचमकालरे / अवसरआदरै क्रमविना / ते पिण जवि सुविलासरे (त्रि ) // 7 // एतप गुरूमुखश्रादरै। शास्त्र तणे अनुसाररे / पमिकमणादिकलावथी / सुक्रिया मन धाररे (त्रि०)॥॥ चित्तसमाधि सुननावथी। धरे ताहरो ध्यानरे / ते नर उत्तमफललहे / बलि लहे उत्तमझानरे (त्रि०) ॥ए॥ कालअनादिसंसारमें / जन्ममरणतणा मुःख रे / ते लह्या धर्मपायांविनां, तपबिना किमहुवे सुक्खरे (त्रि // 1 // हिवलह्यो नरजवपुन्यथी। वलि लह्यो श्रीजिनधर्मरे / तत्वनीरुचिथहैं मुके। हिवमिव्यो मन तणोनमरे (त्रि०)॥११॥ जवजव एकजिनराजनो / सरणहोज्यो सुखकाररे. कुगुरु कुदेव कुधर्मनो / में कीधो हिवे परिहाररे (त्रि)॥१॥ दर्शनज्ञानचारित्रए / मोदमारगसुविसालरे / नवजवजे मुझसंपजे / तोफलेमंगलमालरे // त्रि० // 13 // श्रीजिनशासनतपकह्यो। ते तप सुरतरुकंदरे / धनधन जेनरश्रादरे / काटेते करमनो फंदरे // त्रि० // 14 // कलश // श्म नाजिनंदन जगतवंदनसकलजनआनंदनो। में श्रुण्यो धनदिनाजनोमुझ मात मरुदेवी. नंदनो। संवत सुनेत्राकाशनिधिशशि (1972) नयर श्रीवालूचरे। श्रीजिनसौलाग्यसूरिदके सुपशाय विजयविमलवरे॥१५॥ इति श्रीबारमाशीतपवृष्धस्तवनम् //