________________ (ए) // अथ छम्मासीतपस्तवनं लिख्यते // // गौतमस्वामीरे बुध दो निरमली / आपो करिय पसाय, महावीरस्वामी जे जे तपकिया / तेहनोकहिसुविचार / वलिवलिवांडु वीरजीसुहामणा ॥१॥नावग्नंजण सेव्यां सुखकरे। गातां नवनिधिथाय / वारेवरसां वीरजी तपकियो / दूरकरे सहुअपाय // व० // // बेकरजोमी एहूं वीनवू / श्रीजिनशासनराय / नामलियांथी नवनिधि संपजे / दरिशणरितपुलाय // व० // 3 // नवचौमासा जिनजीरा जाणिये / एककीयो उम्मास / पांचेऊणा उ वलि जाणिये / बारेकेकोजीमाश // व // 4 // बहुत्तर माशखमण जगदीपता / उ दोमासीरेजाण / तीन अढाई दो दो कीया / दो दोढमाशीवखाण // व ॥५॥ना महाला शिवगतिजाणियें / उत्तमएहनाप्रकार / विचमें पारणो स्वामी नहिं कियो / नहिंकीयो चोथोत्राहार // व // 6 // तिढुंउपवासे प्रतिमाबारमी / कीधाबारेजीमाश / दोयसै बेला जिनजीराजाणिये / इणगुणतीसविलास // व०॥७॥ तीनसेपारणा जिनजीराजाणियें। तीन गुणतीसपचास / एहमें स्वामीकेवलपामिया / पाम्यामुगतिआवास // व० // // कलश // श्मवीरजिनवर सयलसुखकर अतिहि उक्करतपकरी / संयमसुपाली कर्मटाली स्वामी शिवरमणी वरी। // अथ रोहिणीतपवृद्धस्तवनं लिख्यते // // शाशणदेवतासामिणीए मुझ सांनिधकीजे / नूलो अक्षर