________________ (330) गायारे / मात // 26 // एहवाश्रीमुनिरायनो / अमृतधर्म जदारोरे। शिष्यदमाकट्याणनी वंदनावारंवारोरे / मात सुणो मुजवातमी // 27 // इति एमत्ताजी स० // // अथ श्रीउपाध्याय समयसुंदरजी कृत मायानी सझाय लिख्यते // - // मायाकारमीरे / माया मकरोचतुरसुजाण // मा ॥ए आंकणी // मायावाह्या जगतविलुछा / मुखीयाथाये अजाण // मा० // 1 // न्हानामहोटानरनेमाया / नारीने अधिकरी / वली विशेष अतिघणीव्यापे / गरमामेकाफेरी ॥मा // 2 // योगी जंगम यती संन्यासी / नग्नश्रश् परवरिया। बंधेमस्तकअगनीधुखंती, मायाथी नविमरिया // मा० // 3 // मायामे. सीकरी बहुलेली / लोनेलाणजाय / चोरमरे धरतीमांघाले। ऊपर विसहरथाय // मा० // 4 // मायाकारदूरदेशांतर / अटवीवनमांजाय / प्रवहण बेसी बीपछीपांतर / सायरमांपाय // मा० // 5 // शिवनूतिस रिखा सत्यवादी / समगोषकहावे / रतनदेखी मनतेहy चलि / मरीनेमुर्गतिजावे // मा॥६॥लब्धिदत्तमायायें नमीयो / पमीयोसमुमकाररे। मुख मा खणी थश्ने मरीयो / पमीयो नरकवार // मा॥9॥ इंजे तो सिंहासने थापी। संजय माया राखी / नेमीसर तो मायामेली / मुगतीमां श्रयासाखी // // मा० // मनवचनका. यायें माया / महेलीवनमांजाय / धन्य धन्य तेह मुनिसरजेहना / तीन जवनगुणगाय // मा० // ए॥ एवुजाणीने नविपाण।। मायामूकोअलगी / समयसुंदर कहे सारखे जगमा /