________________ (331) धर्मरंगशुं वलगी // मा० // 10 // इति श्रीसमयसुंदरोपाध्यायकृत मायानी सकाय संपूर्णा // // अथ श्रीपंडितजिनहर्षजीविरचितसम कितनी वृद्ध सज्झाय लिख्यते // ____ ढाल पहेली // तेमुजमिचामिछक्कम // ऐ देशी // सांजलरे तुं प्राणीया / सशुरुउपदेशो / मानवनवदोहिलो लह्यो / उत्तमकुलएसो // 1 // सां० // देवतत्त्वनविलख्यो / गुरुतत्त्वनजाण्यो / धर्मतत्त्वनविसर्दह्यो / हियझेशान न आण्यो // // सी० // मिथ्यात्वीसुरजिनप्रत्यें / सरखाकरी जाण्या, गुणअवगुणनविउँलख्या / वयणेकरीवखाण्या // 3 // सां० // देवश्रया मोहेंग्रह्या / पासेंरहेनारी / कामतणेवरों जेपड्या / अवगुणअधिकारी // 4 // सां० // के क्रोधीदेवता / वली क्रोधनावाह्या / केशकोईथीबीहता। हश्रीयारसंवाह्या // 5 // सां०॥ क्रूरनजर जेहनीषणी / देखतांमरीयें / मुबाजेहनीएहवी / तेहथी शुतरीयें // 6 // सांग // आपकरमसांकलजड्यां। नमेजवहीमकारो। जनममरण नवदेखीयें / पाम्यानहींपारो॥७॥ सां०॥ देवथ नाटककरे / नाचेजणजणांगें / वेषकरी राधा कृष्णनो / वली जिदामांगे // 7 // सां०॥ मुखेंकरी वाये वांसली। पेहेरे तनवागा / लावतानोजनकरे / एहवाम सागा ॥ए॥ सांग // देखोदैत्यसंहारवा / श्रयोउद्यमवंतो / हरि हरणांकुशमारीयो / नरसिंहबलवंतो // 10 // सां०॥ मन्चकवअवतारले / सदु असुरविदास्या / दशअवतारें जूजूश्रा। दशदैत्यसंहास्या // 11 // सां०॥ मानेमूढमिथ्यामति /