________________ (332) एहवापणदेवो / फरीफरी अवतारले / देखी कर्मनीटेवो॥१॥ सां० // स्वामीसोहेजेहवो / तेहवो परिवारो / एमजाणीनेपरिहरो। जिनहर्षविचारो // 13 // सां० // इति // ढाल बीजी॥ उधवमाधवनेकेहेजो // ए देशी // जगनायकजिनराजने / दाखवियें सहीदेव / मूकाणाजेकर्मथी / सारे सुरपतिसेव // 14 // ज० // क्रोधमानमायानहीं / नहीं लोनअज्ञान / रतिअरति वेदेनहीं / गंड्या मदधान // 15 // ज० // निजा शोक चोरी नहीं / नहीं वयणअलीक / मन्चर जय वधप्राणनो। नकरे तहकीक // 16 // ज० // प्रेम क्रीमा न करेकदी / नहीं नारीप्रसंग / हास्यादिकअढारए / नहींजेहनेअंग // 17 // ज० // पद्मासनपूरी करी / वेग अरिहंत / निश्चललोयणतेहना / नासाग्ररहंत // 17 // ज० // जिनमुना जिनराजनी। दीगपरमनदास / समकितथाये निर्मल / तपे ज्ञानउजास // 15 // ज० // गतिआगति सहु जीवनी / देखेलोकालोक / मनःपर्यायसवीतणा / केवल ज्ञानालोक // 20 // ज० // मूर्तिश्रीजिनराजनी। समता नंमार / शीतलनयणसुहामणां / नहींवांकलगार // 21 // ज० // हसतवदन हरखेहैयुं / देखीश्रीजिनराय / सुंदरउबि प्रजुदेहनी / शोलावरणी नजाय // 22 // ज० // अवरतणी एहवीउवि / किहांएनदीसंत / देवतत्व एजापीये। जिनहर्षकहंत // 23 ॥ज ढाल 3 जी॥ यतणीनी देशी // श्रीजिनवरप्रवचननाख्या / जेकुगुरुतणागुण दाख्या। पासत्थादिकपांचे। पापश्रमण कह्यासाचे // 2 // गृहीनामंदिरथीबाणी / आहारकरे नातपाणी / सुए जंघेनि