________________ (43) पाय / पांचे लघुश्रदरऊचरतां जेहनोमान / पंचमगति पामें सिवपद चउदमगुणथान // 3 // त्रीजे बारमें तेरमें माहें न मरे कोय / पहिलो बीजो चोथो परजव साहोय / नारक देवनी गति माहें लाले पहिलाच्यार / धुरला पांच तिरि माहिं मणु ए सर्व विचार // 33 // कलश // श्म नगरबाहममेरुमंझन सुमतिजिनसुपसाउले / गुणगणचवदविचार वरण्यो जेद आगमनेबले / संवत्तसतरेसे उत्तीसे श्रावणवदि एकादसी। वाचक विजय श्रीहरष सानिध कहे मुनि श्म धर्मसी // 34 // इति श्रीचतुर्दशगुणस्थान विचार स्तवनं संपूर्णम् // // * // // अथ अढाईद्वीप 20 विहरमान स्तवनं लिख्यते // // बंदु मनसुध विहरमाण जिणेसरवीस / दीपश्रढीमें दीपे जयवंताजगदीस / केवलज्ञानने धारे तारे करि उपगार / किण किणगमें कुणकुणजिन कहि स्युं सुविचार // 1 // ए पेंतालीस लक्ष्योजन मानुषदेत्रप्रमाण / बलया कारे श्राधे पुष्कर सीमाजाण / दोयसमुफे सोहे विपअढाई सार / तिणमें पनरे करमजूमीनो कई अधिकार // 2 // पहिलो जंबूदीप समे विचथाल आकार / लांबो पिडुलो इकलखजोयणनें विसतार / मोटो तेहनें मध्य सुदरशणनामें मेर / तिणथी दिसा विदिसानी गिणती च्यारे फेर // 3 // मेरुथकी दक्षण दिसि एह नरत सुत्नदेत्र / पांचसेबवीस जोयण उकला तेहनो वेत्र / उत्तरखंममें एहवो ऐरवतदेत्रकहाय / इण बिहुँ करमांनूमी श्रारा नई फिरताजाय // 4 // तेत्रीससहस बसे चौरासी जोयण