________________ (51) रीयें जातां गुरें / दाख्या दूषणदस्य ते टाली याने सिक संयम गुणें सरस्स // 16 // // ढाल श्रीसंखेसरपासजिणेसरभेटिये एदेशी // आधाकरमीआदिक सोलह जे कह्या, संकाकरतां संकित पिंझवसेफह्या। सचित्तजलादिकलागां मृक्षितपिंमए / प्रथवी प्रमुखमुकाणो निदितपिए // 27 // सचितप्रमुख फलस्पर्श असनग्रह्यां सदा / चोथोपिन्तिदोष हूवो परगट तदा / संहतदोष मोटाथी लघुमे मूकतां / दायकनांमे दोष देवालअसूजतां // 2 // ननमिश्रलागे जोग्य अजोग्य अजाणतां / अपरणित्तश्णनांम असीनो आणतां / कररेखाविणसूकां लिप्तदूषणलीयो / बर्दितदूषणजे लेतां धरति नांखीयो // 25 // ए दसदूषण एहनें संज्ञाएषणा, साधुजिकेसुविहांण चरति गवेषणा / जिनवरनेवचनेंएहबेतालीस जो टले, तोश्णपंचमेंयारे साधुपणोपले // 30 // मुनिवरने वली पांचदूषण मामल तणा। जे जाख्याजिनराज सुणो नवियणजणा / खीरखांमघृतमेट्यां संजोजनसुणो / अपरिमाण आहार लेतां दूजो गिणो // 31 // धूम दूषण इण नाम तेहिजकुवखाणतां / इंगालनांमे दूषणसखरवखांणतां / ग्लानिविनारसलेतां अनिमित्त आणीयें मांझलना ए दोष / सुगुरु मुखजाणीयें // 32 // पिण हूं संयमपाय नको टाली सक्यो / तिणकारण हिव स्वामि सरणताहरोतक्यो / मोटांने उलाजाने मिटवातणी / कारजपमियां काजसुधारे ते धणी // 33 // आगेपिण अपराधिताखानेश्ता। धूम दृपण / खानिविनाखजाणी // 32 खामि सरणत