________________ (३८ए) फागुणपूनिमसंलेखनाजाणो, चैत्रीदिननिरुपम गुणखाणो पाम्यापदनिरवाणो // 1 // चैत्रीदिनदेववंदनकीजै, नावसहितप्रनुपूजारचीजै, जिनगुणगाइ जशलीजै // तिलककरो प्रभुने दशवीश, चढता वलि तीश चालीश, पंचाशनी पूजा जगीश // पुष्पअदतफल नेवेद्य सार, जिनवर पूजाविविधप्रकार, धूपदीप मनुहार // कलशअघोत्तरशतपूजाकरिये, चौवीश जिनवरध्यानज धरियै, जिमनवसागर तरिये // 2 // चैत्रीदिनशुलवारमा लीजै, // गुरुमुखथी एतपऊ चरीजै, विधिसहितवहीजै // सोलवरस एतपाराधी, आतमगुणनिज संपदासाधी, पावे सहज समाधी // तपपूरण उऊमणोधारो, करिनेसासनसोजा वधारो, जिमहोवे नवनिस्तारो // काउसग्गप्रदक्षिणाकरिये, गुणनोगुणी जिनगुण सांजरिये, आगमविधिअनुसरिये // 3 // दोयटंकप मिक्कमणोकीजे, चैत्रीसे@जयात्राकरीजै, पुन्यन्नंमारनरीजै // बहरीपालीजेनरलेटे, संघपतिथइ सहुमुखमेटे, नववनमे नविलेटे, बारहपूनिमपर्वकहीजै, चारित्रतिथी शास्त्रमाहिलहीजै, चक्रेसरीसांनिधकीजै॥ श्रीजिनकृपाचंजसूरिराजै खरतरगजिनआणागजै, सुखसंपदासुसमाजै॥४॥ इति चैत्रीपूनिमथुश् सं० // ॥श्रीनेमिनाथजीनी थुइ लि० // // नेमिजिनंदा पूनिमचंदा, सममुख सोजता, सिवादे जाया, सहुमननाया, इंघादिकसेवता, सोरिपुरमें, त्रिनुवन सुखमें प्रनुपरमारथी, संघमे साता, जगनात्राता, धर्मनासारथी // 1 // रिपनजिनेसर, नुवनदिनेसर, अष्टापदसिववस्या, वीरपावापुरी,