________________ (244) 'पोषदशमि पार्श्व प्रनु जन्म्या, ग्यारस संजम बीधो / चंजजन्म बारसनेदिवसे, तेरस व्रतमनकीधोरे सु० // 10 // चउदश शीतलज्ञानग्रह्योहे, 'सुदिप विमखनाण पायो / नवमी सांति नाण सुखदाई, ग्यारस अजित नाण आयोरे सु० // 15 // अजिनंदन चबदशदिनसुंदर, केवलज्ञानकहाई। धर्मजिनेश्वरपोषीपूनिम, केवलवह्यो वरदाई रे सु० // 20 // इति पोष मास - ' पद्मप्रन्नु चवनकट्याणक, बारस शीतलजन्मजांण / शीतलनाथनी वादशि दीदा, तेरस रिषननिर्वाणरे सु॥१॥ अमावश श्रेयांश केवल पायो, सुदि बीज अजिनंदन जाया। वासुपुज्य नाण धर्म विमल जिन, तीज जनमकहवायारे सुस // 22 // चोथ बिमल जिन संजम धारी, आठम अजित जन्मसीनो। नवमी दीदा अजित अभिनंदन, वादशि संजमलीनो रे सु०॥२३॥ त्रयोदशि धर्म जिन दीक्षा, माघ मास में जाणो। 'श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवो परमारथ पहिचाणोरे सु० // 24 // इति माघ मास // ढाल 3 // “यात्रीडा यात्रा नवाणुं कारियेरे"-एदेशि॥ .. सुज्ञानी ! कल्याणक तप करियेरे, एतो करिये तो नवजनतरियै सु० / टेर / बारे पूनिमपर्व वखाणोरे, कट्याणकतपमनर्माणोंरे / फागुन मासमांहेतुमेजाणोसुज्ञानी ! कल्याणकतप करियेरे // 25 // 'वदि सुपार्श्व ज्ञानपायोरे, सातमनिर्वापकहायोरे, सातम चंज ज्ञान सुहायो, सुझानी ! कट्याणक तप