________________ (243) ' 'असोजवदि तेरस थयोरे, गर्लापहार ( वीरनो बीजो) कट्याण सम् / नेमीज्ञान अमावसेरे, 'पूनिम नमिचव्या जाण स० // 10 // इति अस्विन मास कार्तिकवदि पांचम समेरे, संजव पांम्यो नाण सपद्मप्रन्नु बारसजनमियारे, नेमि चव्या जगजाण स० // 11 // तेरस पद्म दिदाग्रहीरे, वीर दरस (अमावश ) निर्वाण स० / 'सुविधी सुदितीज अर घादशी रे, केवलनांण सुखखांण स० // 1 // पर्युषण ओली नली रे, ज्ञान पंचमिपर्वजांण, स / “जिनकपाचं सूरिसदारे, पर्वसेवोगुणखांण स० // 13 // इति कार्तिक मास // ढाल 2 // "आज आपे चालो सहियां-सिहाचलगिरिजश्येरे" ए देशि // मिगसर वदिपंचमि सुविधि जनु, उदीकालीनी / दशम वीर संजम एकादशी, पद्म मुक्तिगति कीनीरे // 14 // "सुनो सुगुणा जिनशासन सुंदर, पर्व घणा जयकारी"। 'सुदि दसमी अरनाथजी जाया, पाम्या सिवसुखलारीरे सु० // 15 // इग्यारस अरनाथनी दीक्षा, महीजन्म व्रत लीनो / केवल मबी नमी सुहंकर, पांमी जगत जस कोनोरे सु // 16 // चवदश संजव जन्म लियो हैं, पूनिम दीदाधारी / पूनिमतिथि सेवीने सुनो सुगनायजी जाना, मीनार सुमतिथि दसभी अनायना जगत जनताबाधा ... इति मार्गशीर्ष मास