________________ (317) जाण / दसम निकुनामऊयणमेंजी, वम्यु न वांद्रे सुजाण // अरि // 1 // प्रथवी न खणे खणावे नहीं जी / पीवे न पावे सीतलनीर / जाले न जलावेतेऊकायने जी / वींजे न वीजावे समीर / अरि० // 2 // बेदे न बेदावे तरू हरीकायनें जी। वरजेबीजसचित्त / पचे न पचावे नोजनरसवतीजी / तस थावर विधचित्त // अरि० // 3 // पांचेव्रतपाले पांचेइंची दमे जी। गामकंटक सहेधीर / रहेसमसांणे पमिमा पविजेजी। तजे प्रतिबंधसरीर // अरि० // 4 // रागषमदमत्सरमाया परिहरेजी / नकरे विणजव्यापार / तजे तमासा हासा मसकरीजी / वांडे नहीं सतकार // अरि० // 5 // मरम न लाखे धरमलाखेजलोजी / पामे परमपद सादिअनंत / आतमध्याने श्रातमनरेजी / वाचे सूत्रसिधांत // अरि॥६॥ श्रीसिद्धांनवगणधररच्योजी / दसवैकालिकसूत्र / सखरो आचारप्ररूप्यो साधुनोजी / मनकतास्यो निजपूत // 7 // संवतसतर सतोतर समेंजी। बीकानेर मकार, पाठकपुण्यकलसगणी शिष्य जैतसीजी, सिकायरचिसुखकार // 7 // अरि // इति दसमाध्य. यन सफाय संपूर्णम् // // अथ कलस लिख्यते // // दसवैकालिक सूत्रसुहामणोरे / रच्यो सिजंलवस्वाम / अफेण व्यालुवेलादसेढुवाजी / तिण दीयो एहवोनाम // 1 // दसवैकालिकसूत्रसुहामणोरे / ऊपरचूलिका बेरलीयामणी रे / जिममेरूसिरचूल / सीमंधरस्वामीनणीजवणी नणारे / सखरीने वातसमूल // दस // 2 // अढारेणा हो पहिलीचूलि.