________________ (20) जिहांरे जि०, सुणतांजलसेचित्त // मो० // 5 // सुयखंधश्क राजतोरे जि०, दशश्रध्ययननदार // मो० // उद्देशादिकवीसबैरे जि०, पद बहुत्तरहजार // मो० // 6 // रागीजिनशासनतणारे जि०, सुणे सिद्धांतवखाण / मो० // विनयचंकहैते हुवेरे जि०, परमारथराजाण // मो० // 7 // इति श्री गण सं० // // अथ 4 // समवायांगसूत्रसझाय लिख्यते // - // ढाल // थारामहिलांऊपर मेहकरोखेबीजली // एचाल / चोथो समवायांग सुणो श्रोतागुणी, हो लाल सुणो श्रो, पन्नवणाउपांगकरी सोनावणी, हो लाल करी सो० // अरधमागधीलाषा साखासुरतणी, हो लाल साखा सु०, समकित नाव कुसुम परिमलव्यापी घणी, हो लाल परि० // 1 // जीव अजीवने जीवाजीव समासथी, हो लाल जी, लहीयैएहथि नाव विरोधकांनथी, हो लाल वि० // नांगातीन स्वसमया वखाणीये, हो लाल लो॥२॥एकथकी सतसमवायपरूपणा, हो लाल सम, कोमाकोमि प्रमाणकजीव निरूपणा, हो लाल जी० // वारसविहगणी पिकटतणीसंख्या कही, हो लाल तण, सासताअरथअनंतकि चै एहनासही, हो लाल बै० // 3 // सुयखंध अध्ययन उद्देसादिके जला, हो लाल ज०, संख्यायें एकएकप्रत्येके गुण निला, हो० प्रत्येक // पद एकलाखचौमालसहसतेउत्तरा, हो स०, पदनेंअग्रउदग्र संख्याताअकरा, हो सं०॥४॥ नाष्यचूर्णिनियुक्ती करीसोहेसदा, हो० करी, सुणतांदगंजीर त्रिपत न होयकदा, हो त्रि० // जेहनमावै.