________________ (370) र्षवधाइ / जैनधर्म मारगरुचिकरतां, मंगललीलसदारे // आ॥ 17 // श्रीपंमितदेवचंजीकृतप्रनंजनामहासतीसज्कायसंपूर्ण // // अथ नवपद सज्झाय // कृपानाथमुजविनतिअवधार // एदेशी // सिद्धचक्रफलदाखव्योजी, श्रीगौतमगणधार, नृपश्रीपालाराधिनेजी, पामशेजवनोपार, सुझानि नवपदमनमांधार, जिमलहोसुख अपार // सुज्ञानिन०॥१॥तीनतत्वआराधसोजी, देवगुरुनेधर्म, दोयतीनचऊनेदजी, जाणो नवपदमर्म // सुझानिन ॥२॥अरिहंत सिम दोयदेवनाजी, नेदलहो सुजाण, आचारज पाठकवलिजी, मुनि त्रण गुरुतत्वजाण // सुका // 3 // दर्शनशानचारित्रजी, तपचोयोधर्मजेद, एत्रणतत्वनाजाणजोजी, नवपदसेवो उमेद // सु० // // कालअतीतजेसिजथयाजी, वर्तमानमांथाय, अनागतमांशिवपामसैजी, ते नवपदसुपसाय // सु० // 5 // नवपदनापरलावधीजी, नवनिधिप्रगटेसार, आ. धिव्याधिदूरेटलेजी, कहेश्रीजगदाधार // सु० // 6 // नवां. बिलोलीकरीजी, जपतां नवपदजाप, त्राणटंकदेववंदनकरोजी, कासग्गथी जायपाप // सु० // 7 // नवोली विधि. युतकरीजी, नऊमणो निरधार, गुरु मुखथी विधिजाणिनेजी, संघनगतिसुखकार, सु० // 8 // नवपदध्याता आतमाजी, ते नवपदकहिवाय, जिनकृपाचंजसूरिसेवतांजी, निरुपाधिकसुखवाय // सु० // ए // इतिनवपद स० //