________________ (56) तोरो / अतिहरखितहुवोचित्तमोरो। जिमदीगं चंदचकोरो॥ कृ० // 7 // परतिखप्रनु पंचमे आरे। विषमहालयसंकटबारे / सहुसेवककाजसुधारे // कृ० // // सेवोस्वामिसदा सुखदाई / कमणा न रहे घरकाई / बाधे संपतिसोनसवाई // कृ० // ए॥ नाजिरायकुलांबरचंदा / नविजनमननयणाणंदा / उलगे सुरसुरसुरिंदा // कृ० // 10 // जयकारी रिषनजिनंदा / प्रहसमधरपरमाणंदा / वंदे श्रीजिननक्तिसूरिंदा // कृ० // 11 // इति श्रीषनदेवजी स्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ श्रीअजितशांतिस्तवनं लिख्यते // // मंगलकमलाकंदए / सुखसागरपूनिमचंदए / जगगुरु अजियजिणंदए / शांतीसरनयणानंदए // 1 // बिहुँ जिनवर प्रणमेवए / बिहुं गुणगाश्ससंखेवए / पुण्यमारलरेसए / मानवनवसफलकरेसए // 2 // कोमहिलाखपचासए / सागर जिणसासणनास ए / रिषहजिणेसरबंसए / उवज्कायसरोवरहंसए // 3 // इण अवसर तिहां राजीयोए / राजा जितशत्रु जगगाजीयो ए / बिजयातसु घर नार ए / बिहुँ रमयति पासासारए // 4 // कूखहि जिनअवतारए / तिणरायमनाव्यो हारए / नयरवस्यो दसमास ए / प्रनुपूरी जणणीआसए // 5 // बिहुँ जण मन आणंदीयोए / सुत नाम अजियजिण तो दीयो ए। तिदुअणसयल उदाह ए / क्रम क्रमवधे जगनाहए // 6 // हंस धवल सारसतणी ए।गति सुललितनिजगति निरंजणी ए। मलपतिचालेगेलए / जाणें नयण श्रमीरसरेल ए // 7 // अवरन