________________ (17) मग्गणघार / विवरणकर वरणवस्युं सुणज्यो सुहम विचार // 25 // गति नर इंदिय पंचेंनी कायें त्रसकाय / नाणे जेहनें केवल संयमथी अहखाय / दंसणमें इक केवलदसण अवरन होय / जव्य अजव्ये जव्यपणो परिपाके जोय // 26 // संमत्ते दायक सन्नी असन्नीयें सन्नि / अणहारी आहारी श्रणहारी उप्पन्न / व्यप्रमाणे सिघजीवजव्यहोय अनंत / लोग असंखम नाग एगसिप होय अपंत // 27 // फरसना खेत्रथि अधिक काल इगसिद्ध प्रतीत / सादिअनंतीथिति जिनागमथी सुविदीत / प्रतिपाती नावे नहीं सिखां अंतर जोय / सरब जीवश्री नाग अनंतम सहु सिम्घहोय // 20 // दंसण नाण जेहनें बे ते दायकनाव / जीवत जेहनें वलि परिणामिक नाव समाव / सहुथी श्रोमा बेद नपुंसकथी जेसिद्ध, तेहथी श्री नर अनुक्रम संखगुणा सुपसिध // 2 // जे जाणे जीवादिक नवतत्त तस सम्मत्त / अण जाणंतानें हुय जे सरधानें रत्त / सरब-जिणेसर मुखथी जाख्या वयण जहत्य / ए बुद्धीजेहनें मन सम्मत निच्चलतत्थ // 30 // अंतरमहुरत एगमात्र फरस्यों संमत्त / अईपुग्गलपरियट्ट नियम संसार निमत्त / उस्सप्पणीयअणंत एगपुग्गलपरियह / अनंत अतीत अनागत तदगुणवयणप्रगट्ट // 31 // श्म नवतत्त लेद पमिलेदे विवरणकीध / श्रावकाग्रह कीन सहाय पूरण रसवीध / कोटिकगण सुनसदन प्रकास नदीउपमान / श्रीजिनलाल चंदकुल पूनमचंदसमान // 3 // अग्यानादिक करिवरसिंहें वयरीसाख / रत्नराजमुनि ते