________________ (11) श्री // 1 // परचा जगमेपरगमाहोराज यां० आवेसंघापार स रसदरसणलहेहोराज सर० प्र० श्री० // 5 // स्यामवरण शुनसुंदरुहोराज थांअद्भुतप्रनुदीदार देख्यावांवितफलेहोराज देख्या थां० श्री० // 3 // श्रासहती घणादिवसनीहोराजयां तेसफलीश्रश्वाज, पूरवसंचितफट्याहोराज पूरव श्रां श्री ॥॥जवनवचरणारी चाकरीहोराज थांग मुजनेहितसुखकंद सदा प्रतुदीजीयेहो राज सदा श्रां श्री० // 5 // मालवदेशथी आवीयाहोराज थां विषमनवंघीवाट आजदरसणलह्योहोराज आ थां० श्री० // 6 // उगणीसेअसीसमेहोराज थांग फागणशुदिः हितकार, सदासंपतिकरुहोरा सदा यां० श्री० ॥७॥अव्यावाधसुहंकर होराज थां० अनुलवामृतपान, सदा मुऊदीजीयहोराज सदा थां० श्री० // 7 // साहिबनीसुनिजरउताहोराज थां सहजफलेसदुकाज कृतारथकीजिये होराज कृता० थां० श्रीधु ॥ए // आजमनोरथ सहु फस्या होराज थां० प्रनुदरसणमनरंग सदाजयजयकरुहोराज सदा श्रां श्रीन ॥१०॥श्रीरिसहेसरजगजयोहोराज श्रां श्रीजिनकृपाचं सूरि प्रन्नुमुजमनवस्याहोराज प्रजु था श्री० // 11 // इति // वारीजाउरेसांवरियातोपरवारणारे तो एदेशी सुणोसुणोजी जिनवरजीह्मांनेतारजोजी एआंकमी अश्वसेननरेसरनंदन, वामादेवीकेसुतवंदन, नीलवरण विमोह निकंदन, कर्मरिपुवारजोजी सु० // 1 // परम पुरुस परमेसर कहिये, परमात्मापरमगुरुदहिये, परपुजलसंगदूरेगमिये, सुगुणसुधार जोजी सु० // 2 // कालअनादिपरपरणतिमे, नानामुखसह्याच्यारगतिमें