________________ (20) जरे // परनवविनयचंजकहे तेलहेरे, मोहनमुगतिपुरीनोराजरे॥ पंच० // 7 // इति श्रीनगवतीसूत्रसज्काय सं०॥ // अथ 6 // ज्ञातासूत्र सज्झायलिख्यते / // ढाल // कितलखलागाराजाजीरमालियै ॥ए देशी // उद्योअंग ते ज्ञातासूत्रवखाणियैजी, जेहना अरश्रअनेक उदंमहो // म्हारा सुणज्योधरिनेह सिद्धांतनीवातमीजी // श्रवणे सुणतां गाढोरसऊपजेजी, मधुरतातर्जितजिममधुखंग हो॥म्हा // 1 // जंबुद्दीवपन्नत्तीउपांग जेहनोजी, इण माहे जिनपूजानीविधिजोरहो // म्हा० // अर्चिकमणि परम शांतिरसअनुनवेजी, चर्चिकमणिकरै समसोरहो // म्हा० // // नगरउद्यानचैत्यवनखंम्सोहामणाजी, समवसरण राजाना मातनेतातहो॥म्हा॥ धरमाचारजधर्मकथा तिहां दाखवीजी, इहलोकपरलोकशुधिविशेषसुहातहो // म्हा० // 3 // लोगपरित्यागप्रव्रज्यापर्षदाजी, सूत्र परिग्रह वारू तपउपधानहो // म्हा० // संलेहणपच्चरकाण पादपोपगमनताजी,स्वर्गगमन शुलकुलमतपत्तानहो॥ म्हा॥४॥ बोधिलाजवलितंतते अंतकृत्यकहीजी,धर्मकथानादोयले सुयखंधहो // म्हा० // पहिलाना उगणीसअध्ययन ते आजबैजी, बीजाना दसवर्गमहाअनुबंधहो। म्हा // 5 // ऊंउकोमितिहा सकलकथानकनाषियाजी, नाष्या वलि जगणीसउद्देसहो // म्हा० // संख्याताहजार नला पदएहनाजी, एहथकीजायै कुमतिकलेशहो // म्हा० // 6 // विनयकरे जे गुरुनोबहुपरैजी, तेहने श्रुत सुणतां बहुफलहोयहो॥म्हा॥ते रसियामनवसिया