________________ (25) सिलाका पुरुष उत्तम जगें जयवंतो सदा / प्रहसमें तेहना चरणपंकज नमें मुनि वसतो मुदा // 17 // इति त्रेस सिलाका पुरुषस्तवनं // * // ॥ॐ॥अथ मुहपत्ती पडिलेहण स्तवनं लिख्यते // 4 // // * // ढाल कपूर हुवे अति ऊजलोरे ए चाल // * // वरधमान जिनवरतणाजी / चरण नमुं चित्तलाय / ग्यान क्रिया जिण उपदिसेजी / शिवसुखतणो उपाय // 1 // (नविकजन धर श्रीजिन उपदेश / बूटे कर्म किलेस न)॥ पनि लेहण मुहपति तणीजी। नाखीछे पचवीस / तिहां ए जाव विचारीयेजी / इम लाखे जगदीस // 2 // ज // प्रथम बे पास विलोकियेजी। सूत्र अर्थनी दृष्टि / ए पमिलेहण दृष्टिनीजी / करे धर्मनी पुष्टि ॥३॥न // समकित मिथ्या मिश्रनी जी, मोहनी तीननोत्याग / कामराग स्नेहरागर्ने जी। तज वलि तिम दृष्टिराग // 4 // न // सीपवधूटक गुरु थकी जी। वाम हाथ करनाउ / नव अखोमा आदरो जी / नव पखोमा गमाउ ॥५॥नम् // देवतत्व गुरुतत्व सुंजी। धर्मतत्व गृहसार / कुगुरु कुदेव कुधर्म नो जो। तीन तणो परिहार // ज० // 6 // ज्ञान दरसण चारित्रना जी। संग्रह तीन आचार / तजो विराधना तीनएजी। एह अर्थ अवधार // न // 7 // मन वचन कायानी सदा जी। गुपति ग्रही जे सुख / परिहरीये वलि जाणनें जी। तीने दंग विसुद्ध // ज० // 7 // पमिखेहण पचवीसएजी / मुहपत्तीनी सार / हिव पहिण अंगनीजी / ते पिण चतुर