________________ (391) त्रिसलाकूखेजगीश, शुदि तेरस जनम्या चैत्रमास सुखकार, श्रीवीर जिनेसर बंउन्नावनदार // 1 // मिगसरवदि दशमी संजमसुं मनलाय, वैशाखसुदिमें केवल, दशमी नाय, काति अम्मावसि पाम्योपद निर्वाण, चोवीस जिनवर आपो मुजसुख खाण // // अरिहंत प्रकास्यो, उपधान तप श्रीकार, नवकार इरियावहि नमुत्थुणं मनुहार, अरिहंतचेश्याणं लोगस्स ऽव्यस्तवजान, सिझाएंबुधाणं मालसात उपधान // 3 // विधिसेतिवहियै गुरुमुखसुणि सुविचार, श्रीमहानिशीथे नाख्योए अधिकार सिहायिकादेवीवांवितदेंनिरधार, जिनकृपाचंघसूरि तपसेव्या जयकार // 5 // // इति उपधान थुइ // वीरजिनेंदे नाखीयो, उपधान तप विस्तार, सुत्रे गणधर साखियो, महानिशीथमकार, // 1 // पहलो वीसम नवकारनो, इरिया वीसमजाण, नावस्तव पेतीशनो, ग्वणस्तवचनाण // 2 // लोगस अगवीसनो, दवत्यवनक्कमहोय, माला उपधान सातमो, सिधाएं बुझाएं जोय // 3 // सातनय निवारवा, सातकरो उपधान, क्रियाशुधकरवातणो, एह उपाय सुजान // 4 // विधियोगेाराधियेए, तप उत्तम सुखकार, जिन कृपाचंजसूरिसदा, आगमनो आधार // 5 // // इति चैत्यवंदनम् // // अथ नवपदजी चैत्यवंदन लि०॥ श्रीअरिहंतनाबारगुण, सिघना आठकहाय / उतीशगुणसूरितणा / पचवीश कह्या उवद्याय // 1 // मुनिवरगुण सत्ता