________________ (162) थानकनपीए / केतले दिवसे देसगुजर सयलमलेबायण अयो। जडो गमजाणी बिंबाणी। नयरश्रीखंजायते व्यो // 16 // खंजनयर सिरिपासजिणेसरू / दिनदिन दीपे अतीअलवेसरू / जात्रकरेवा मुझकुंतीरली। प्रनुमें नेव्यो आससहूफली।मुख्यास सफली थईयसांमी जाम नेव्याजगपत।सोनागसुंदर करोउन्नति करुं एतीवीनती / अश्वसेन वामादेवीअंगजध्यानमनतोराधरूं। करिकृपा सामी सीसनामी सदा तुमसेवाकरं // 17 // कलश // इम स्तव्यो थंजणपाससामी नगरश्रीखंनाश्तै / जिम सुगुरुश्री मुखसुणीवांणी सास्त्रागमसंमते / ए आदिमूरति सकल सूरति सेवतां सुखसंपए / मननावाणी लालजाणी कुशल खानपयंपए // 10 // इतिश्रीधनणपार्श्वनाथजीरो स्तवन संपूर्णम् // * // .. // अथ बटभयनिवारणछंदलिख्यते // - // ॥हा // सरसवचनदे सरसती // एहअरज अवधार // प्रारथियापहमैनहीं // उत्तमएआचार // 1 // हितकरजे मोसुंहिवे // दीजेवयणपुरस्स // कवियणपिण शुण कहे / / सखरो घणुंसरस्स // 2 // गुणगिर गौमी धणी, पारसनाथप्रगट्ट // मनसुबे मोटांतणां // गुणगातां गहगट्ट // 3 // बंद नाराच // // प्रसिधिबुद्धिसिद्धिनिधि रिधि वृधिपूरए // कलतपुत्त कित्तिवित्ति वचतेसनूरये // वियोगसोगरोगलोग विग्ध सिग्घघायकं // प्रगट्टदेव नित्तमेव सेवो पासनायकं // 4 // गुमांनमोम हत्थजोमदेवकोमिवग्गये ॥अनूपनूपचूंपधारिआइपायलम्गये // पहुबहु सुकित्तनित्त सबसोजलायकं // 30 // 5 //