________________ (202) गुणखाणी, वीरवदेश्मवाणीरे // प्रा०॥ गुरुऊलवीयेनहीगुरुविनये, काखैधरीबहुमान, सूत्रअर्थतन्नयकरीसूधा, नणीये. वहीउपधानरे // 2 // प्रा०॥ज्ञानोपगरणपाटीपोथी, उवणीनोकरवाली, एहतणीकीधीपाशातना, ज्ञाननक्तिनसंजालीरे // 3 // प्रा० // इत्यादिकविपरीतपणाथी, ज्ञानविराध्युंजेह, समकितट्योशुजाणी, जिनवचनें शंकानविकीजें, नविपरमतश्रमिलाष, साधुतणीनिंदापरिहरजो, फलसंदेहनराखिरे, ॥प्रा०॥५॥समकित // मूढपणुंमोपरशंसा, गुणवंतनेादरीये, साहमी धर्मेकरीथिरता, जगतिप्रजावनाकरीयैरे, प्राण // // 6 // सम // संघचैत्यप्रासादतणोजे, अवर्णवादमनलेख्यो, अव्यदेवकोजेहविणास्यो, विणसंताग्वेख्योरे, ॥प्रा०॥समः॥ // 7 // इत्यादिकविपरीतपणाथी, समकितखंड्युंजेह, थानव०॥ प्रा० // // चारित्रयोचितप्राणी पांचसुमतित्रिणगुपतिवि. राधी, आवेप्रवचनमाय, साधुतणेधरमेंप्रमादें, अशुधवचनमनकायरे // प्रा० // ए॥ चारि० // श्रावकनेंधर्मेसामायक, पोसहमांमनवाली, जेजयणापूर्वकजेश्रा, प्रवचनमायनपालीरे, // प्रा० // 10 // चारि० // इत्यादिविपरीतपणाश्री, चारित्रखंड्युजेद, आजव०॥ मिलामि // 11 // चारि // बारेनेदेंतपनविकीधो, बतेंयोगेनिजशकतें, धर्मेमनवचकायावीरज, नविफोरविनगतेरे ॥प्रा० // 15 // चारि० // तपवीरज आचारें इणपरें, विविधविराध्याजेह, आजव० // मिना // प्रा० // 13 // चारि० // वलियविशेषे चारित्रकेरा, अतिचार