________________ (115) // 15 // वेशालापुरराजियोजी, लोकास्युं आणंद // रायप्रश्नपूजेश्स्योजी, सुगुरुचरणअरविंद // ज० // 20 // मेरेनगरमे कोअजी, जीवपुन्यजसवंत // कहे केवली आजतोजी, जीरणसेठमहंत // ज० ॥१॥राय कहेकिणकारणेजी, जीरणसेठमहंत // दांनदियो जिन वीरनेजी, पूरणसेठमहंत // ज० // 22 // रायप्रतेकहे केवलीजी, पूरणदीनो दान // हेमवृष्टिफल तेहनेजी, अवर न कोप्रमाण ॥ज॥२३॥देवलोकतिणबारमेंजी, जीरणघाट्योबंध // विनादानदियां बह्योजी, उत्तम फल संबंध // ज० // 25 // घडीएकसुरकुंडनिजी, जो न सुएंतो कान // सहितोजीरण तोसहीजी केवलअविचलगम // ज० // 25 // राजाजीरणनेदियोजी, अधिकमानसनमान // मुक्नगरमेथापियोजी, जोवोपुन्यप्रमाण // ज० // 26 // दानदियो सुपात्रनेजी, तेनिष्फलनविजाय // पात्रदानअनुमोदताजी, जीरणजिम फलथाय // ज० // 27 // श्मजांणीअनुमोदनाजी, दानसुपात्ररसाल // दांनदेवे सुपात्रनेजी, तेहनेनमेमुनीमाल // ज० // 20 // इति श्रीवीरप्रनुपारणोसंपूर्ण // - // अथ श्रीसीमंधरजीनो वृद्धस्तवनं लि० // मारीबीनतमी अवधारो साहिवसीमंधरमाहाराज / त्रिभुवन साहिब अरजसुणीजो अरजसुणीजो महिरकरीजो दरसणदीजोराज मारिवी० // 1 // आपवस्या महाविदेह खेतरमे / दुइएनरत मझार / ओमेलोकिमहोवे साहिब / एहीसबल विचार मा० वी० ॥२॥नरत विचाले परवत आमो / नामें वैताब्यसार / पचीशजोजनको उचोप्रनु / पचाशजोजन विस्तार