________________ आ। अगर कपूर सुत्न धूपणा जी / करेय श्री अगनि कुमार। वाणव्यंतर हिवे वेगसुंजी / रचे मणिपीठकासार // 7 // आ० / पुडुप पंच वरण ऊरध मुखे जी / वरपे जानुपरिमाण नवणव देव त्रिगमोनलोजी / करय ते सुंणोउ सुजाण // 8 // आ० / रचयगढप्रथमरूपातणोजी / सोवन कांगरे सार / रविशशि रयण कोसीसको जी। कनक नो बीय प्राकार ॥ए॥आरतन गढ रतननें कांगरेजी।रचय वेमाणीय सुरराज / जलो त्रीजो गढ नीतरे जी। जीहां विराजे जिनराज // 10 // श्रा। जीत ऊंची धणु पांचसेजी / सवा तेत्रीस विस्तार।धनुषसे तेर गढ अांतरो जीपौल पंचास धणुच्यार // 11 // आ० / दश पंच पंच त्रिढुंगढतणी जी। पावमी वीस हजार / थाक श्रम नहीय चढतांथकांजी / एककर उच्च विस्तार ॥१२॥आ। पंच धणु सहस पृथवी थकी जी। उच्च रहै त्रिगढ आकाश / तेहतल सहु यथा स्थित वसे जी। नगर आराम आवास॥ 13 // आ० / तोरण चिहुँ 2 दिस तिहां जी। नीलमणि मोर निरमाण / उसयधणु मध्य मणीपीविका जी उच्च जिणदेह परिमाण // 14 // आ० / च्यार आसण तिहां चिहुं दिसेंजी / मोतीयें काक ऊमाल / सम विचकूण ईसाणमें जी। देवबंदो सुविसाल // 15 // आण। देव दुन्नि नाद उपदिसेजी / जिनगुणगावसीतेह / अह्म जिम आई शिरऊपरें जी / गाजसी तेहगुणगेह // 16 // आ। // ( ढाल ) सफलसंसारनी // * // पुवदिशि पासणे आश्