________________ (ए) चितकरेए / गुरुनक्ति चित्तसुंआदरेए / नक्ति करेसाहमीतपीए / जेपढेपढावे तेलणीए // 32 // अन्न वस्त्र पुस्तककरे दानए / तिणमनुष्यजनमपरिमाणए / ते पामे श्रुतज्ञानए / क्रमथीलहैपदनिर्वाणए // 33 // (कलश) शुन्न नंद शर निधि चंज वरषे माघसुदिपंचमीदिने / वर नयरवीकानेरसुंदर बृहत्खरतरगणघणे / गणधारकीर्ति सुरिंदपाठक रामगणि शधिसारए / इमकरियस्तवना सुय महोदय सदाजयजयकारए॥३॥ इति श्रीपैंतालीस आगमतपवृक्षस्तवनं // // अथ पंचसमवायस्तवनं लिख्यते // // सिद्धारथसुतवंदिये / जगदीपक जिनराज / वस्तुलाव सब जाणिये / जिनागमथी आज // 1 // स्यादवादथीसंप जे / सकलवस्तुविख्यात / सप्तनंगीरचनाविना / बंध न बेसे बात // 2 // वादवदे नय जूजुवा / आपापणेगम / पूरणवस्तुविचारतां / कोई न आवे काम // 3 // अंधप्ररूपे एकगज / ग्रहीअवयवएकेक / दृष्टिवंतलहे पूर्णगज / अवयवमिलीअनेक // 5 // संयुतसकलनयेकरी / जुगत जुगत सुधबोध / धन जिन सासन जगजयो / तिहां नहीं कोईविरोध // 5 // ढाल 1 आसाजरीराग // श्रीजिनसासन जगजयकारी / स्यादवाद शुधस्वरूपरे / नयएकांत मिथ्यात्वनिवारण / अकलअनंगअनूपरे // 6 // श्री // कोईकहे एकालतणेवस / सकलजगतगतहोयरे। काले उपजे विणसेकाले / अवर न कारनकोयरे // 7 // श्री॥ कालेगर्नधरे जगवनिता / काले जनमे पूतरे / कालेबोले काले चाले / कालेकाले घरसूतरे // // श्री० // काले दूधथकी बृ० स्त०७