________________ (31) सतिनो समरण करी चित्तमां, अनेरानी कहुं वरणनारे // 1 // सुणो सुणो सुगुणा श्रीजिनशासन, जेहथी करणपवित्ररे, जीवाजीवस्वरूपने ज्ञाने, जाणपणो जगमित्ररे सु० // 2 // उत्कृष्ट अवगाहना सीधा, कसमय एकसो आठरे, झपन देव नवाणु पुत्रो, लरतना पुत्र वली आग्रे सु० // 3 // पहलो एह अचेरो जाणो, बीजो हरिवंस कुलनोरे, जुगलिया नरक गया ते कारण, अछेरो श्रयो एहुनोरे सु० // 4 // सात अंतरमांही असंजतीनी, पूजा थई ते त्रीजोरे, सुविधिजिनेसरथी सांतिलग, अञ्चरक ए गणजोरे सु० // 5 // कृष्ण गयो धातकी खंगमां, संखशब्दकरी मलियोरे, चोयो अचरिज ए कहिवाणो, तिहांश्री पागे फरियोरे सु० // 6 // मबीजिनेसर स्त्रीतीर्थकर, पांचमो आश्चर्य कहियेरे, निन्न निन्न समय ए पांच, अचरज शास्त्रश्री लहियेरे सु०॥॥ पहली प्रनुनी देशना निष्फल, चमरनो श्रयो उत्पातरे, गोशाले तेजो लेश्या मूकी, समवसरण मुनिघातरे सु० // // चं सूरज मूलगे रूपे, आया वांदवा काजेरे, ब्राह्मणी कूखे उपना चरमजिन, दशमो अचरिज गजेरे सु० ॥ए // पांच अनेरा महावीरनी वखते, हुवा इण विधजाणोरे, प्रथमनां मेट्यां दशनीसंख्या, श्म करी मनमां आणोरे सु० // 10 // अनंतकाल गया ए होवे, तेह आश्चर्य कहेवावेरे, अघटित घटित जो कहे लोको, तिमअचरिज मन लावेरे सु० // 11 // वीरप्रनुनो शासन जयवंतो, मोदतणो ए कारणरे, श्रीजिनकृपाचंन्प्रसूरि सेवो, नव नव दुःखनो वारणरे, सु०॥१२॥इति अजैरासशायस॥