________________ (47) अढारवरजित अतिशया चौतीसए / चोसहिद नरिंद सेवित नमुं ते निसदीस ए / तिहां आज तारण तरण विचरे केवली दोयकोम ए / दोईसहसकोमि सुसाधु बीजा नमुं बेकरजोम ए // 25 // कलश // इमअढीदीपे पनरकरमानूमिखेत्रप्रमाण ए। सिद्धांतप्रकरणमाहिलाष्या वीसविहरमाणए / श्रीनगर जेशलमेरु संवत सतर गुणतीसे समे / सुखविजयहरष जिणंद सांनिध नेहधरि धर्मसीह नमें // 26 // इति श्रीमेरुपर्वत कर्मजूम्यादि विचार गर्जितं विंशति विहरमाण जिनानां वृद्धि स्तवनं / / जंबुद्धीप, धातकी खंम, आधो पुष्कर बीप, 3 एवं // वीपमें एजरत, ५ऐरवत, 5 महाविदेह,१५ कर्म नूमीमें विचरता सास्वता 20 विहर मानकों मेरा नमस्कार होवो // // अथ श्रीशीतल जिनचैत्यप्रतिष्ठा स्तवनं लिख्यते // // नविजनपूजोरे शीतलजिनपतीरे / नयनानंदन चंद / प्रजुजी विराजे रे सूरतविंदरे / नंदा देवीना नंद // 1 // न // जगहितकारीरे जिनजी अवतस्यारे / श्रीहढरथ नृपगेह / श्रीवचसोहेरे लांबनसूंदरूरे / कनकवर्ण प्रजुदेह // 2 // 0 // विषयनिवारी रे संयमसंग्रह्यो रे / लाधु केवल नाण। सघनघनाघनजिमधर्म वरसतारे। विचस्या त्रिनुवन नाण // 3 // नवि०॥ वेदनी प्रमुख जे शेष रह्या दुतारे / च्यार अघाती कर्म, दूर निवास्खा रे अनुक्रम तेहनें रे / पाम्युं शिव पदसर्म // ॥ज // संप्रतिकालेरे श्रीजिनराजनोरे / पूजीजेरे प्रतिबिंब / प्रतिदिनलहीयेरे प्रनुसुप्रसादथीरे वांछित