________________ (47) फल अविलंब // 5 // न // श्रीजिनवरनो बिंब विखोकतां रे / उकृतदूरपुलाय / इंजीयनिग्रह सुग्रहसंपजेरे / समकित पिण दृढथाय // ६॥न // श्रीसशुरुनामुखथी सांनट्यारे / एहवा वचनविलास / ते वहुमाने रे निजचित्तमें धस्यारे / नेमी सुत नाईदास // 7 // ज० // चैत्यकराव्युरे सुंदरसोजतोरे / मनधरिअधिकनवास / शीतलप्रनुनोरे विंबनरावियोरे / सहसफणा वलिपास // // ज० // वरस अचारह सत्तावीसमें रे / माधवमास मकार / नऊलवादसी दिवसे थापीयारे। बिंब अनेकजदार // ए॥ न० // एकसोश्क्यासीसहु मेले श्रया रे। बिबादिकसुविचार / कीध प्रतिष्ठा तेदिनतेहनीरे / विधि पूर्वकमनधार // 10 // न // श्रीजिनलानसूरीश्वरदीपतारे / श्रीखरतरगहनांण / तासपसायमें शीतलजिनथुण्यारे / विबुध क्षमाकट्याण // 11 // नवि० // इति श्री 10 शीतल जिन स्तवनम् // // अथ बयालीस दोस वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // दोहा // सासनपतिचौवीसमो / महावीरजगवंत / दोष बयांलीस दाखीया / टाले ते मतिमंत ॥१॥धारक दसविध धरमना / चाले जे इणचाल / निरदूषणथाहारस्ये / ते विरला इएकाल ॥॥सोले श्रावकथी टले / सोले साधु सरीर / बली दस फीरतां गोचरी / समजे तिके सधीर // 3 // मांगलना दूषण कह्या / पणधारीने पंच / माहें ते पिण मेलतां / सेंतालीसनो संच // 4 //