________________ (126) सातस्वप्न प्रमाण, कम् // 36 // त्रिपिष्ट' नाम कुंवर थयो, जगणी सम जव एह,त्रणखंनो राज्य लोगवी, सातमी नरके तेह कप // 37 // इकवीसमें नव सिंहथयो, बावीसमें नरके जाय, नाना नवकरी तेवीसमें, चक्रीपदनेपाय, क // 30 // देव जव चोवीसमें, पचीसमेंनंदनराय, दीदालेई सेवन करी, वीस थानक सुखदाय, क // 35 // तीर्थकर नामबांधिने, देवलोक दशमें मांहि, वीसमें नव ऊपना, कृपाचन्मसूरि सांहिं क० // 40 // // ढाल चोथी यतनी॥ देवलोकथी चविनेस्वामी, देवानंदाने मनरामी, ऊपना सदुने हितकामी, सलूणा, वीर जिनेसरगावो, एतोमणिमोतियमेवधावो, सलूणा, वीर० // 41 // सुखसेजे सुपना देखे अनुक्रमथी तेसुविशेषे, निजजन्मगणे तब लेखे, स० वी० // 4 // निज प्रीतमपासेजावे, फलपूठीने हरखावे, पाठी निज सेजमें आवे, स० वी० // 43 // देवानंदाहरख जराणी, धर्मजागरिका गुणखाणी, करे सखियो सहित जलसाणी, सण वी० // 4 // तिणसमे सौधर्मइंद, अवधिथी जोवेजिणंद, शक्रस्तवकरेसुखकंद, स० वी० ॥४५॥श्म वांदी सिंहासण वेसे, चिंतवतां संशयपेसे, जिनन्नक्तिकरी शुखलेसे, स० वी० // 46 // हरणेगमेसीने बोलावे, दश अछेरा समजावे, शुन गर्नसंहरण करावे स० वी० // 7 // हरिणेगमेषी वैक्रियकरीने, तिर लोकमां आव्यो सरीने, अशुल पुजल सब हरीने, स० वी० // // आश्विन वदि तेरसराते, उत्तराफाल्गुनी चविख्याते, संक्रमाव्या देवनिजहाथे, स० वी० ॥धए॥