________________ (17) क्षत्रियकू नगर नगीनो, सिद्धार्थ राजासुखजीनो, त्रिसला. राणीमनलीनो, स० वी० // 50 // त्रिसला माता मनरंगे, चवदे स्वपना चितचंगे, देखे मनधरीय उमंगे, स० वी // 51 // सिंह हाथी वृषन लबी माल, चंज सूर्य ध्वज कलस विलास, सर समुज विमान रसाल स० वी० // 5 // रत्नराशी अग्निशिखाहोवै, चवदे स्वप्ना माता जोवे, देखीनेजाग्रतहोवै, स० वी० // 53 // अर्थ पूरे त्रिशला राणी, सुतरत्नहोस्ये गुणखाणी, जिनकृपाचन्मसूरिवखाणी, सवी // 4 // // ढाल पांचमी // साहिब शिव वसीया ए देशी॥ सिधारथ राजाघरेरे, आव्याजगनानाथ, प्रनुमुजमनवसिया, मनवसीयामुजदिलवस्यारे, शिवपुरकेरासाथ, प्रा // 55 // बीजो कट्याणक थयोरे, दिवस बयासी बाद, प्र० त्रिशला उदरेआवियारे, शास्त्रघणासंवाद, प्र० // 56 // आचारांग गणांगमारे कट्पसूत्रमांपाउ, प्र० जो नहींमानेमोहथीरे, एह कर्मनोगत, प्र० // 57 // गर्नमें प्रनु निश्चलरह्यारे, माता शोककरंत, प्र० एकप्रदेशे चालतारे, माता घणीहरखंत, प्र॥५॥ मातापिताजीतां थकारे, नलेवं संजमनार, प्र० अनिग्रह लेश्ने, प्रतुरे, वृद्धिपाम्याजयकार, प्र० // 55 // चैत्रसुदितेरसदिनेरे, जन्म्याजगतदयाल, प्र० जिनकृपाचप्रसूरिजणेरे, वयोजयजयकार प्र॥ 60 // . ॥ढाल छड़ी॥. . // माने संसार सेरी वीसरीरेलोल ए देशी॥ म्हारे जगतसुहंकर नाथजीरे, लोय, दिशिकुमरीआवेतत.