________________ (344) इणलवपरजवणिपरे / कीधापापश्रखत्र / त्रिविधपरे करिबोसरूं / करुंजनमपवित्र // तेमु // 3 // रागवेरामीजेसुणे / एतीजी ढाल // समयसुंदर कहे पापथी। बूटे ततकाल // तेमु० // 33 // इति आलोयण पद्मावती सझाय // // श्रीउपाध्यायक्षमाकल्याणजीकृत श्रीथूलभद्रजीनी सझाय लिख्यते // तीरथतेनमूरे ए देशी // श्रीमहावीरजिनेसरु / त्रिन्नुवनगु. रुजी। तसुअच्मपटधार। श्रीश्रूलिनजनमो॥१॥ पामलीपुरसोहामणुं / महिमंमगुंजी। तिहांपायोअवतार। श्रीथूलि // 2 // नंदनरिंदमंत्रीश्वरु / गुणागरुजी। श्रीसकमालसुपुत्र // श्रीन // 3 // लाउनदेनंदननलो // मुनिगुणनिलोजी / नागरविजकुलदीप // श्री० // 4 // श्रीसंनूतिविजयगुरु / पूरवधरुजी। ब्रतलीधातसुपास // श्री // 5 // कोश्यावेश्याप्रतिबोधवे / सशुरुतवेजी / मुक्कर मुक्करकार // श्री० // 6 // चौदपूरवशिष्यो. वली / श्रुतकेवलीजी / श्रीलप्रबाहुसमीप // श्री० // 7 // संयमपाड्यो निर्मलो / त्रिविधेनलोजी / जंगमयुगप्रधान // श्री० // 7 // पंचमासपंचदिनसही / ऊपरकहीजी। वरसनवाणुयाय // श्री० // ए॥ करि अणसणाराधना / शुलवासनाजी / पहोतास्वर्गमकार // श्री० // 10 // चुलसीचोवीशीखगें / जसजगमगेजी // रहेशेजेनुनाम // श्री० // 11 // वसु युगवसु चंवत्सरे ( 1727) पामलीपुरेजी / जसुपदथापना कीध // श्री० // 1 // वाचकअमृतधर्मनो।थुणेशुलमनोजी॥