________________ ( 155) शए // 3 // ढाल // पांचमीतारे साहम्मीसर्वजिमामियें / रात्रिजोगेंरेंगीतरसालगवानिये // इणकरणीरे करतां ज्ञानथाराधियें / ज्ञानदरिसणरे उत्तम मारगसाधिये // उबालो // साधियेंमारग एहकरणीज्ञानलहियें निरमलो / सुरलोकने नरलोकमांहिज्ञानवंतते आगलो // अनुक्रमें केवलज्ञानपामी सासतासुख जेलहे / जेकरे पंचमीतपअखंमित वीरजिनवरश्मकहे // 4 // कलश // श्म पंचमीतपफलप्ररूपक वर्षमानजिनेसरो // में थूएयो श्रीअरिहंतनगवंत / अतुलबखअलवेसरो // जयवंतश्रीजिनचंदसूरिज सकलचंदनमंसियो / वाचनाचारिजसमयसुंदर नक्ति नावप्रशंसियो ।वारित्नक्तिनाव प्रशंसियो॥ 24 // इतिपंचमीवृधस्तवनं संपूर्ण // // अथ श्रीगौतमाष्टकं लिख्यते // श्रीइंजनूतिं वसुन्नूतिपुत्रं / पृथ्वीनवं गौतमगोत्ररत्तं // स्तुवंति देवासुरमानवेंजाः / स गौतमो यन्तु वांछितमे // 1 // श्रीवर्धमानात् त्रिपदीमवाप्य / मुहूर्त्तमात्रेण कृतानि येन // अंगानि पूर्वाणि चतुर्दशापि / स गौतमो यन्तु वांछितं मे॥शा श्रीवीरनाथेन पुराप्रणीतं / मंत्रं महानंदसुखाय यस्य // ध्यायंत्यमी सूरिवराः समग्राः / स गौतमो यन्तु वाजितं मे // 3 // यस्यानिधानं मुनयोपि सर्वे / गृएहंति निक्षानमणस्य काले // मिष्टान्नपानांबरपूर्णकामाः / स गौतमो यवतु वांछित मे // 4 // अष्टापदाघौ गगने स्वशक्त्या / ययौ जिनानां पदवंदनाय // निशम्य तीर्थातिशयं सुरेन्यः / स गौतमो यन्तु वांगितं मे ॥५॥त्रिपंचसंख्याशततापसानां / तपःकृपानामपुनर्नवाय /