________________ ( 315) जीवनीजीहो मुनिवर महावीरनाख्यो एम // 1 // सुणसुणजबूतेम / पृथवीपतेऊ वाऊ वनस्पतित्रस जांगिये। जीहो मुनिवर / पृथवीपतेऊ वाऊ वनस्पति त्रस जांगिये। एह एजीवनिकाय / हिंसाटालीदयापाली ये। जीहो मुनिवर महा॥२॥ महाव्रतपांचसदैव / वलीको व्रत पालीये / जीहो मुनिवर / महाव्रतपांचसदैव / वलीउचो व्रत पालीये / त्रिबिधे त्रिबिधे जावजीव / गरहीनिंदीपमिकमि / जीहो मुनिवर // त्रिबिधे त्रिबिधे जाव जीव गरही निंदी पमिक्कमि म॥३॥ शिष्यपूने लेदीख / किमचालुं बोलुंकिमरहुं / जीहो मुनिवर / शिष्यपूजे लेईदीख / किमचालु बोलुंकिम रहुं / समजावेगुरुशीख / जयणायेंचालेबोलजेरे / जीहो मुनिवर // समजावेगुरुशीख / जयणायेंचालेबोलजेरे म॥॥एजिनसासनसार प्रथमज्ञान पनि दयापालजोरे। जीहो मुनिवर // एजिन / जीवाजीवविचार / जाणेअनुक्रमझानथी / जीहो मुनिवर म०॥५॥जाणे॥केवलदसणझान / पामे कर्मखपायने / जीहो मुनिवर // केवल॥ हमे लहे सिस्थान / अजरअमरसुखसासता / जीहो मुनिवर म० // 6 // हमे॥अजयणजीवणियानाम। सुणतां तनमन जबसें / जीहो मुनिवर / सरदहे सुष्परिणाम / पुण्यकलश शिष्यजैतसी जीहो मुनिवर // 7 // महावीरलाख्योएम। इतिचतुर्थाध्ययनसकाय संपूर्णम् // // अथ पंचमाध्ययन सझाय लिख्यते // // तुंगीयागिरि शिखरसोहे // ए देशी // // पंचमपिछेषणअजयणे / उद्देशा वे साररे / विधिसुंआंणी