________________ (313) जातपाणी। करोतरो संसाररे // 1 // दीखपालो दोषटालो। धरोध्यानसमाधिरे / सूत्रसाचो अरथागे लपोवाचो साधरे // 2 // संचरेमुनि गोचरीने / नगरगाममहाररे। जीव निहाले दयापाले / बोले हसे न लिगाररे // 3 // दी० // अशनपाणी खादिमस्वादिम / सूझता हये जेहरे / असूझते मुनि दोषजाणी / कहे न कलपे तेहरे // 4 // दी० ॥कायमरदी साधुअरथे / कीयानोजनजेहरे / तेह नगर जे जतिवरजे / सूआवम आदिदेरे // 5 // पिमनिषेध्या कुल निषेध्या। तजे जे निरदोषरे। मुधादाई मुधाजीवी, बेऊंजावे मोखरे // 6 // दी० // विधिलेवे विधियालोवे, विधिकरेआहाररे / लूखोसूखो अरसनीरस, हीलेनहीं लिगाररे // 7 // दी॥काले आवे कालेजावे / विचरेनहीं अकालरे / काले कालसमाचरेजे / बांबु साधुत्रिकालरे // // दी० // जातपाणी सयणासण। उता न देवेजेहरे / जती रतीतसु रोषनकरे / निंदे वंदे सम एहरे // ए॥दी // तपचोरने वयचोरादिक / दुवेकिलवीषी देवरे / उनतिर्लनबोधजांणी / धरममारगसेवरे // 10 // दी० // शिष्य शिक्षा ग्रहेंनिदा / ते लहे सिवलोयरे / जैतसी. कहे शास्त्रमांहे, बोलबहुठे जोयरे // 11 // दी० // इतिपंचमाध्ययनसज्काय संपूर्णम् // // अथ षष्ठाध्ययनसझाय लिख्यते // // वैरागीनीरागीहो सूधासाधुजी / दसणनाणसंपन्न, वनवामीमांहीआविसमोसस्या / सुमतिगुपति प्रतिपन्न // 1 // वैरा // मिस मिलराजाहो राजानामुंहता / ब्राह्मणक्षत्रिय