________________ (३०ए) ॥२॥प्र० // श्रेणिकवंदननीसखोरे, वीरजीने वंदनजाय // देश्तीनप्रदक्षिणा, त्रिविध 2 खमाय // प्र० // 3 // उरमुखदूतवचनसुणीरे, कोपचढ्योततकाल // मनसुंसंग्राममांमियो, जीव पड्योजंजाल // प्र॥ 4 // श्रेणिक प्रश्नपूछियोरे, एहनी सीगतियाय // जगवंतकहे हिवणांमरेतो, सातमीनरकेजाय // प्र० // 5 // खिणश्कअंते पूछियोरे सर्वार्थसिझविमान // वाजी देवनी कुंकुनी, मुनिपाम्याकेवलज्ञान // प्र॥६॥ प्रष्णचंद मुनिमुगतेगयारे, श्रीमहावीरनाशिष्य // रिघहरखकहे धन्यते, जिणदीगरेपरतद // प्र० // 7 // इति // // अथ पंडितश्रीजेतसी मुनिकृत दशवैकालिक सज्झाय लिख्यते // // मुनिवृषन श्रीमनक मुनयेनमः // श्रीदशवैकालिकसूत्रकृत चतुर्दशपूर्वधर श्रीशय्यंजवसूरिं वंदे // // तत्र प्रथमाध्ययन सझाय लिख्यते // // धर्ममंगलमहिमानिलो / धरमसमोनहींकोय / धर्म सूधे नमेंदेवता / धरमें शिवसुखहोय // 1 // "धर्म" जीवदयानितपालीये / संयमसतरप्रकार / बारेनेदें तपतपें / धर्मतणो ए सार // // धर्म ॥जिम तरुवरने फूलमे / जमरोरसलेजाय / तिम संतोषे साधुआतमा / फूलपीमानविथाय // 3 // धर्म॥ इणविधिविचरे गोचरी / वहिरेशुषाहार / ऊंचनीच मध्यमकुले / धन धन तेअणगार // 4 // धर्म // मुनिवरमधुकर समकह्या / नहिंनिश्रानहिलोल / लाधेलामोयेंदेहीनें / अणखाधे संतोष // 5 // धर्म० // अध्ययनपहिलोदुमपुष्फीने /