________________ (310) सखरा अरथविचार / पुन्यकलसशिष्यजैतसी / धर्मेजयजय. कार // 6 // धर्म // इति श्रीप्रथमाध्ययन सफाय सं० // ॥अथ द्वितीयाध्ययनसशाय लिख्यते // दीक्षादोहिलीआदरीजी / कामनोगफलगंग / संकल्पवसें मुखपगपगेजी। वैरागेरंगमांम॥१॥मुनीसर धनधनतेअणगार। जोगतजी जोगादरेजी / तेहनें दुं बलिहार मुनीसर धनधनतेश्रणगार // 2 // मनवालेनूलो चूकतोजी / नकरे ढीललगार / जाणे न को जगकेहनोजी कुंण्डं कुंणतेनारि॥ मुनी० // 3 // करिआतपनायाकरी जी / कोमलमकरेदेह / रागोष. तजीपाडूछाजी। जिम सुखपामेअलेह // मुनी // 4 // अग्निकुंमजलतेपमेजी। अगंधनकुलसाप / वम्युनवांने विषवलिजी। तिम पणेकुलचाप // मुनी० // 5 // धिगधिगतुं जसवांबतो जी / वांवम्युंआहार / जीवाश्रीमरवोनलोजी / निर्लज नलाजेलिगार // 6 // मुनी० // नारिसारिपारकीजी। देखी देखी मतजूल / वाऊऊकोल्यातरूपरेजी / अथिरदुइसमुलीर // 7 // मुनी० // जिमहाथीअंकुशवशेजी। थिरगमआवेतेम, राजीमतीसती बुझव्योजी। स्थिरगमाव्यो रहनेम // 7 // मुनी // अध्ययनसाममपुफियाजी / सखरा अरविचार / पुन्यकलशशिष्यजैतसीजी / प्रणमेसूत्र सुखकार // ए॥ मुनी० // इति श्रीवितीयाध्ययनसहाय संपूर्णम् // // अथ तृतीयाध्ययन सझाय लिख्यते // // सूधासाधुनिग्रंथ / साधे मुक्तिनोपंथ / आतमसंवस्यो ए।