________________ (73) वश्योअंधकूपमें / मनुष्यरूपसनमान ॥द // 2 // उत्तम कुलमें जनमलियोहै / सुखमें खाणश्ररुपाण / नीमपड्यां तेरे कोश्नसाथी। साथीदानबरुध्यान // द० // 3 // आशात्रिशनाविकथानिता कुमतारूपनिधान / दिनदिनवधे पापकीसंगत / यामें क्रोधअरुमान // द // 4 // चलतेफिरते सोवत जागत / करतखाणश्ररुपाण / बिनविनायुघटतहैतेरे / होतदेहकीहाण // द० // 5 // माल मुलक अरु सुखसंपतमें / होयरह्या गुलतान, देखतदेखत विनसजायगा / मतकर मानगुमान // द // 6 // झूगसब यह जगतपसारा / नारी विषकी खान / मायाममताआदिके वैरी / इनसे कहापहचान // द० // 7 // पाचूंचोरमूंसें घरतेरो / इनकीखोटीवाण / आठवैरी तेरे संगफिरतुहै / मोहवमासुलतान // द० // // को रहणेपावे नहींजगमें / यह तुं निहच्चैजान / अज ढुं गंमि समफिकुटलाई / मूरखतरअज्ञान ॥द० ॥ए॥ नाबंध अरु सजनसंबंधी। राखे तेरामान / अंतसमें कोईकामनावे। किसपेमानगुमान // द // 10 // जपतपशीलपालो सुजसंगत / देवसुपात्रेदान / सुविहितसाधुचरणचितट्यावो / प्रजुनज तज अनिमान // द० // 11 // इति उपदेस सझाय संपूर्णम् // जं जं विहिणा लिहिशं / तं तं परिणमइ सयललोयस्स / इह जाणेवि णु धीरा / विदुरेवि न कायरा हुँति // 1 // // अथ बाहूबलजीनी सष्झाय लिख्यते // ईडर आंबा आंबलीरे // ए चाल // बाहूबलि चारित्रलीयोरे।साचोधरिवैराग / जरतेसरश्मवीन