________________ (२६ए) तेने पासरे // 13 // चां० दूरथकी जानजोवन्दनारे / मोरी प्रहजगमते सूररे / महिरकरीजो सेवकउपरेरे / मुछ्ने राखिजोराज हजुररे // 14 // चांग कैश्प्रपंच हो साहबसुं करेरे / कहतां न आवे मनमें कापरे / श्रीसीमन्धर तुम जाणोसहीरे। श्रीसोहम गणि जिनहर्ष सुजाणरे ॥१५॥चांग॥इति सम्पूर्णम् // // अथ अइमत्तामुनिनी सझाय // ॥श्रीअश्मत्ता मुनिवरजूके / करणीकीबलिहारीवे / षट वर्षनके संजमलीनो / वीरवचनचित्तधारीवे // श्री // 1 // विजयनृपतिश्रीदेवीनंदन / पोलासपुरअवतारीवे / अंगण्यारपढे गुणागर / त्रिविधत्रिविधयविकारीवे // श्री // 2 // तपगुणरयणसंवत्सरादिक / करकें कायउधारीवे / प्रनुश्रादेशे विपुलाचलगिरि करीअणसण अतिनारीवे // श्री // 3 // केवलपायमुक्तिगये मुनिवर / कर्मकलंकनिवारीवे / अढारअमतालेतहिगिरिऊपर / कीनीथापनासारीवे // श्री // 4 // वाचक अमृतधर्मसुगुरुके / सुपसायेंसुविचारीवे / शिष्यदमाकट्याणहरखधर // गुणगावे अतिजयकारीवे // श्री० // 5 // इति श्रीअश्मत्तामुनिनीसकाय // // अथ करकंडूप्रथमप्रत्येकबुद्धनीसझाय // // चंपानगरी अतिनली / कुंवारीलाल / दधिवाहनपाखर / ढुंवारीलाल / पद्मावतीकूखें ऊपनो // हुँ० // कर्मेकीधो चंमालरे // ढुं० // 1 // करकंडूने करूं वंदणा॥ ढुं० ॥पहिलो प्रत्येकबुधरे // हुं० // गिरवानागुणगावतां // ढुं० // सम