________________ (222) समेरे, महावीरनाम श्राय, सु० // 33 // नेसालेजश्श्रावियारे, परण्याराजकुमारी, मातपिता स्वर्गेगयारे, दीक्षाथीदिखधारी, सु० // 34 // लोकान्तिक सुरवचनश्रीरे, देवेवरसीदान, मागसरवदी दशमीदिनेरे, ज्ञातवनषंमउद्यान, सु० // 35 // चोस इन् उत्सवकरेरे, दीदालेवेजिनराज, सूरिकृपाचन्ज सेवियेरे, तुर्यकत्र्याण सुखसाज सु० // 36 // // ढाल पांचमी // // अजितजिणंदमुं प्रीतडी ए देशी॥ प्रनुजीसंजमलेश्ने, बमनागीहो विचर्याजगनाथके, परिस. हसहताश्कमने, दमाधारैहो सहुजीवनेसायके, प्र० // 37 // बारेबरसम्मासबलि, एकपदनोहो बदमस्थनोकालके, रहीनेप्रनु केवललह्यो वैशाखनी हो दशमीनजवालके, प्र०॥३०॥ वैशाखसुदी अगियारसे, पावापुरी हो आव्या सुरसायके, समवसरणसुरवररच्यो, तिहां वेगहोत्रणजगनानाथके, प्र० // 35 // इन्धनूत्यादिकगणधरु, एकादशहो थाप्या गुणगेहके, संघचतुर्विध जगजयो, जिनवाणी हो बूगेअमीरसमेहके, प्र० // 40 // चौत्रीसअतिशयशोलता, नूमंमलहो विचरे जगलाणके, नव्यकमलप्रतिबोधता, शिवंकर हो सहु जीवना त्राणके, प्र० // 41 // तीस गृहिकेवलिपणे, बेतालीस हो श्रमणपर्यायके, बहुतरवरसनोआखो, पालीनेहो पावापुरीआयके प्रनु० // 42 // कातिवदिअमावसे, स्वातिनदत्रहो चन्नोसंयोगके, पाउलीराजेशिववर्या, सादिश्रनंतहो लह्योसुखनो नोगके प्र० // 43 // इनविधप्रनुना वरणव्या,